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मंगलवार, 25 अक्टूबर 2011
महिलाओं में पाए जानेवाले जी स्पोट का सच !
सेक्स जीवित प्राणियों क़ी स्वाभाविक इच्छा का ही एक नाम है I हमारे समाज में इसे बड़ी ही गोपनीयता का रूप प्रदान किया गया है , जिस कारण जननांगों से सम्बंधित कई भ्रांतियों से विवाहित युगल भी जूझते हैं I कई बार शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के बाद भी युगल यौन संबंधों के प्रति उदासीन रहते हैं I जननांगों में यौन उत्कर्ष के दौरान स्वाभाविक रूप से रक्त का स्राव तीव्र हो जाता है ,तथा चरमोत्कर्ष (ओर्गाज्म ) के दौरान यह अपनी पूर्णता पर होता है I ईश्वर ने मानव शरीर को कुछ ऐसे हिस्सों से युक्त किया है, जिसकी चरमोत्कर्ष (ओर्गाज्म) क़ी ओर ले जाने में महती भूमिका होती है, ऐसा ही एक स्पोट जो महिलाओं क़ी योनि में पाया जाता है नाम है "जी-स्पोट " I योनि क़ी दिवाल के सामने वाले हिस्से में मटर के दाने के समान इस स्पोट को महिलाओं में चरमोत्कर्ष का एक विन्दु माना गया है I आस्ट्रेलिया के मेलबोर्न स्थित अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त यूरोलोजिस्ट डॉ. हेलेन .ओ. कोंनेल ने इस पर गहन अध्ययन किया है, उनका कहना है ,क़ि महिलाओं के योनि क़ी आंतरिक दिवार ही वेजाइनल-ओर्गास्म को पैदा करती है, यह योनि के किसी ख़ास हिस्से में अधिक हो सकता है, जिसे 'जी स्पोट' नाम दिया जाता है I सेक्सोलोजिस्ट डॉ पेट्रा बोयनटन का कहना है ,क़ि अक्सर महिलाएं इस जी-स्पोट के बारे में चिंतित रहती हैं और यदि उन्हें यह इसका एहसास खुद में नहीं हुआ , तो स्वयं को यौन शिथिल मानने लग जाती हैं, जबकि ऐसा नहीं है, डॉ पेट्रा बोयनटन का कहना है : यह जरूरी नहीं, क़ि हर महिला में यह योनि के किसी ख़ास हिस्से में ही हो ,यह अलग-अलग महिला में योनि क़ी दिवार के अलग हिस्से में हो सकता है, अगर महिला केवल अपना ध्यान जी-स्पोट पर ही केन्द्रित करने लग जाती है ,तो वह सेक्स के अन्य पहलूओं पर ध्यान ही नहीं दे पाती है ,अतः यह आवश्यक है, क़ि यौन सम्बन्ध बनाते समय सम्पूर्णता क़ी और ध्यान केन्द्रित किया जाए न की किसी स्पोट विशेष पर I
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