एक नए शोध अद्ययन से यह बात सामने आई है क़ी दवाओं क़ी अत्यधिक मार्केटिंग रोगियों के लिए खतरनाक हो सकती है I
इस अध्ययन के मुताबिक़ दवा कंपनियों द्वारा दवाओं का किया जा रहा अत्यधिक प्रचार मार्केटिंग के हिसाब से कंपनियों को तो लाभ दिला सकता है,परन्तु रोगी में इसके लाभ क़ी अपेक्षा दुष्प्रभाव अधिक देखने में आ रहे हैI.यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्सास मेडिकल ब्रांच के प्रोफेसर डॉ होवार्ड ब्रौडी के शब्दों में अब चिकित्सकों को यह तय करना होगा क़ी कौन से दवा लिखी जाय या नहीं Iकेवल दवा कंपनियों के प्रचार के भरोसे यह काम मरीजों के लिए जोखिम भरा हो सकता हैI
अमेरिकन जर्नल आफ पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित एक शोध के अनुसार कई दवाओं के ब्लाकबस्टर प्रचार के बावजूद सेफ्टी मापदंडों मे खरा न उतर पाने के कारण इन दवाओं को बाजार से वापस ले लिया गया है. इसे "इनवर्स बेनिफीट ला" नाम दिया गया है.
इस अध्ययन के मुताबिक़ दवा कंपनियों द्वारा दवाओं का किया जा रहा अत्यधिक प्रचार मार्केटिंग के हिसाब से कंपनियों को तो लाभ दिला सकता है,परन्तु रोगी में इसके लाभ क़ी अपेक्षा दुष्प्रभाव अधिक देखने में आ रहे हैI.यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्सास मेडिकल ब्रांच के प्रोफेसर डॉ होवार्ड ब्रौडी के शब्दों में अब चिकित्सकों को यह तय करना होगा क़ी कौन से दवा लिखी जाय या नहीं Iकेवल दवा कंपनियों के प्रचार के भरोसे यह काम मरीजों के लिए जोखिम भरा हो सकता हैI
अमेरिकन जर्नल आफ पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित एक शोध के अनुसार कई दवाओं के ब्लाकबस्टर प्रचार के बावजूद सेफ्टी मापदंडों मे खरा न उतर पाने के कारण इन दवाओं को बाजार से वापस ले लिया गया है. इसे "इनवर्स बेनिफीट ला" नाम दिया गया है.
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