आप शायद जानते होंगें क़ि वेद संसार के सबसे प्राचीन वैज्ञानिक ग्रन्थ हैं,और अथर्ववेद का उपवेद आयुर्वेद है I अथर्ववेद के पृथ्वी सूक्त की २७ वी कंडिका में वर्णित पंक्ति के अनुसार यह पृथ्वी सभी प्रकार की वनस्पतियों एवं वृक्षों से भरी पडी है , जहाँ लाखों प्रकार की औषधियों के गुणों से युक्त वनस्पतियाँ ईश्वर की अनुकम्पा से अवतरित हुई हैं ,पर्यावरण सरंक्षण की दृष्टि से तो इनका महत्व है ही, साथ ही ये औषधियां हमारे दैनिक जीवन की अनेक आवश्यकताओं की पूर्ती भी करती हैं I ये वृक्ष,लताएं अनेक जैविक गुणों से युक्त चैतन्य स्वरुप हैं, जिनकी पूजा-अर्चना के पीछे का उदेश्य भी इनका सरंक्षण ही है I आयुर्वेद एवं ज्योतिष में इनके औषधीय सहित अनेक कल्याणकारी गुणों का वर्णन है I आप शायद जानते होंगे क़ि ज्योतिष में नौ ग्रहों एवं २७ नक्षत्रों का उल्लेख है I प्रत्येक व्यक्ति पर इन नवग्रहों एवं नक्षत्रों का प्रभाव पढ़ना तय हैI जिस प्रकार ग्रहों एवं नक्षत्रों के देवता के मंत्र,यन्त्र ,रत्न एवं रंग होते हैं, ठीक उसी प्रकार इनके वृक्ष एवं वनस्पतियाँ भी हैं, जिनकी पूजा अर्चना एवं यज्ञं में प्रयोग इनके प्रभाव को कम या अधिक करती हैं I इन्ही कारणों से पौराणिक ग्रंथों के आधार पर विभिन्न ग्रहों एवं नक्षत्रों से सम्बंधित पौधों का वर्णन निम्न अनुसार किया गया है :
ग्रह का नाम वनस्पति का नाम
बुद्ध अपामार्ग
वृहस्पति पारस पीपल
केतु कुशा,अश्वगंधा
शुक्र गूलर
शनि मदार
चन्द्र पलास
मंगल खदिर
राहू दूर्वा
अश्विनी कुचला
भरणी आंवला
कृतिका गूलर
रोहिणी जामुन
मृगशिरा खदिर
आद्रा शीशम
पुनर्वसु बांस
पुष्प पीपल
अस्लेषा नागकेशर
मधा बरगद
पूर्वा फाल्गुनी पलाश
उत्तरा फाल्गुनी पाठा
हस्त रीठा
चित्रा बिल्वपत्र
स्वाति अर्जुन
विशाखा कटाई
अनुराधा मौलश्री
ज्येष्ठा चीड
मूल साल
पूर्वाषाढा जलवेतस
उत्तराषाढ़ा कटहल
श्रवण मदार
घनिष्ठा शमी
शतभिसा कदम्ब
पूर्वाभाद्रपद आम
उत्तराभाद्रपद नीम
रेवती महुवा
ये सभी वनस्पतियाँ औषधीय गुणों से भरी पडी हैं, तो आज से ही हम यह निश्चित करें क़ी संसार की सभी वनस्पतियों में देवत्व बसता है अतः इनका सरंक्षण ही इनकी पूजा है I
डॉ नवीन जोशी
एम्.ड़ी.आयुर्वेद
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