हम सभी जानते हैं, कि आजकल की भाग दौड़ से भरी ज़िन्दगी में हमें जीवन शैली की अनियमितताओं का सामना करना पड़ता हैI अनियमित आहार , सही तरह से आराम न कर पाना फास्ट फ़ूड जंक फ़ूड इत्यादि के कारण हमारे शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ जाती है , जिसे की आधुनिक चिकित्सा विज्ञानं में (L.D.L., V.L.D.L.) के नाम से जाना जाता है , जिसके बढ़ जाने से इनकी परत धमनियों और शिराओं में जम जाती है , जिसके कारण धमनियों और शिराओं को क्षति पहुचती है और उनकी दीवारों पर thrombocyte जाकर चिपक जाते हैं , धमनियां और शिराएँ सिकुड़ जाती हैं , और शरीर के महत्त्वपूर्ण अंग जैसे: हृदय , फुफ्फुस वृक्क , मस्तिष्क इत्यादि में रक्त संचार की कमी के कारण इन अंगो में स्थाई क्षति हो सकती है I जिन्हें आधुनिक चिकित्सा विज्ञान Stroke, Angina , Ischemia, Mayocardial Infarction ,Ischaemic renal disease ,and renal failure इत्यादि के नाम से संबोधित करता है I इन सभी स्थितियों में अल्पायु में ही हम दवाइयों पर निर्भर होकर सारा जीवन गुज़ार देते हैं, इसके बाद भी आपको सलाह दी जाती है अधिक श्रम न करें , भार न उठायें , भाग दौड़ न करें I वास्तव में ४० वर्ष की आयु के बाद ये समस्याएँ हमें घेर लेती हैं , इससे बचने का उपाय निम्न हैं :-
२. तत्पश्चात २ माह तक नियमित औषध सेवन करना
३.चिकित्सक द्वारा निर्देशित आहार और दिनचर्या का पालन करना
आजकल बड़े बड़े अस्पतालों में जो Heart Operations हो रहे हैं उनमे अत्यधिक व्यय होता है ,लेकिन इसके बाद भी आपको जीवन भर दवाइयों पर निर्भर रहना पड़ता है ,वो भी अत्यधिक परहेज के साथ ,
आयुर्वेदिक पंचकर्म चिकित्सा के द्वारा शरीर के भीतर जमी हुयी अशुद्धियों को शोधन प्रक्रिया द्वारा बाहर निकाला जाता है ,तथा आयुर्वेदिक औषधों के द्वारा शरीर को बल देने वाली औषधियों के प्रयोग से हृदय को मजबूत और अधिक कार्यक्षम बनाया जा सकता है , आपको मात्र दो माह की औषध सेवन के पश्चात Hypertension , fatigue , जैसी कोई भी समस्या नहीं रहेगी ,आप आत्मनिर्भर होकर सारा जीवन सुख पूर्वक निर्वाह कर सकते हैं I
Thank you ........
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