मानसून के मौसम में खांसी-जुखाम एवं नजला जैसी समस्या कुछ लोगों में आमतौर पर देखने में आती है। ऐसी ही कुछ सामान्य जान पड़नेवाली परेशानियों की लगातार अनदेखी से कई बार खतरनाक संक्रमण भी उत्पन्न हो सकता है। हाँ,थोड़ी सी सावधानियां एवं प्राकृतिक जीवनशैली को अपनी दिनचर्या में शामिल कर हम न केवल रोगों से बच सकते हैं, बल्कि अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर भविष्य में होनेवाले संक्रमणों से निजात पा सकते हैं।आयुर्वेद संपूर्ण जीवन का विज्ञान है जहाँ प्राकृतिक जडी -बूटियों एवं जीवनशैली में परिवर्तन को विशेष महत्व दिया गया है, ऐसे ही कुछ सरल आयुर्वेदिक एवं प्राकृतिक उपायों को हम दैनिक रूप से उपयोग कर मानसून के समय होनेवाली सामान्य बीमारियों से अपने शरीर की रक्षा कर सकते हैं।
- तुलसी के पत्तों को अदरख एवं काली मिर्च के साथ हलके गुनगुने पानी में मिलाकर लगातार चाय के रूप में सेवन करने से नजला-जुखाम से राहत मिलती है।
- गिलोय के डंठल को छोटा काटकर इसका रस निकालकर हल्दी के पाउडर के साथ समान मात्रा में मिलाकर आधा से एक चम्मच लगातार सेवन करने से एलर्जी से निजात मिलती है।
- आधा चम्मच सौंठ का शहद के साथ लगातार प्रयोग भूख को सामान्य कर इस ऋतु में होने वाले जोड़ों के दर्द के लिए अचूक औषधि है।
- त्रिकटु चूर्ण एवं अविपत्तिकर चूर्ण को समान मात्रा में मिलाकर लगातार गुनगुने पानी से आधा से एक चम्मच लेना गले के दर्द (टांसिल में सूजन) में हितकारी होता है।
- नीम के पत्ते का बारीक चूर्ण,गिलोय का चूर्ण एवं आंवले का चूर्ण समभाग या तीनों का ताजा रस निकालकर लगातार एक चम्मच सेवन करना रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है।
- चिरायता,करेला,गिलोय,नागरमोथा,पित्तपापडा इन सबका स्वरस निकालकर आधे से एक चम्मच तक उम्र के अनुसार प्रयोग कराने से मौसमी बुखार में लाभ मिलता है।
- भोजन के पचने के बाद हरड,भोजन से पूर्व बहेड़ा एवं भोजन के तत्काल बाद आंवले का चूर्ण गुनगुने पानी के साथ नित्य सेवन करने से पेट की बीमारियाँ नहीं होती हैं तथा भूख एवं पाचन की प्रक्रिया सामान्य होती है।
- दूब घास का स्वरस, प्याज का स्वरस एवं अदरख का स्वरस मौसमी नकसीर (नाक से खून निकलना) के रोगियों के नाक में दो से चार बूँद टपका देने मात्र से चमत्कारिक लाभ मिलता है।
- हरड का इस ऋतू में अलग-अलग प्रयोग विभिन्न रोगों में अचूक लाभ देता है जैसे :चबाकर खाने से भूख खुलती है,पीसकर खाने से पेट साफ़ होता है, उबालकर खाने से संग्रहणी (कोलाईटिस) में लाभ मिलता है।
- बर्षा ऋतु में गरिष्ट भोजन कब्ज का कारण बनता है अतः त्रिफला चूर्ण का आधे से एक चम्मच लगातार सेवन कब्ज को दूर कर,पाईल्स के रोगियों में लाभ देता है।इसी आर्टिकल को पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें :http://religion.bhaskar.com/article/yoga-kick-off-such-diseases-in-the-monsoon-2226063.html
- तुलसी के पत्तों को अदरख एवं काली मिर्च के साथ हलके गुनगुने पानी में मिलाकर लगातार चाय के रूप में सेवन करने से नजला-जुखाम से राहत मिलती है।
- गिलोय के डंठल को छोटा काटकर इसका रस निकालकर हल्दी के पाउडर के साथ समान मात्रा में मिलाकर आधा से एक चम्मच लगातार सेवन करने से एलर्जी से निजात मिलती है।
- आधा चम्मच सौंठ का शहद के साथ लगातार प्रयोग भूख को सामान्य कर इस ऋतु में होने वाले जोड़ों के दर्द के लिए अचूक औषधि है।
- त्रिकटु चूर्ण एवं अविपत्तिकर चूर्ण को समान मात्रा में मिलाकर लगातार गुनगुने पानी से आधा से एक चम्मच लेना गले के दर्द (टांसिल में सूजन) में हितकारी होता है।
- नीम के पत्ते का बारीक चूर्ण,गिलोय का चूर्ण एवं आंवले का चूर्ण समभाग या तीनों का ताजा रस निकालकर लगातार एक चम्मच सेवन करना रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है।
- चिरायता,करेला,गिलोय,नागरमोथा,पित्तपापडा इन सबका स्वरस निकालकर आधे से एक चम्मच तक उम्र के अनुसार प्रयोग कराने से मौसमी बुखार में लाभ मिलता है।
- भोजन के पचने के बाद हरड,भोजन से पूर्व बहेड़ा एवं भोजन के तत्काल बाद आंवले का चूर्ण गुनगुने पानी के साथ नित्य सेवन करने से पेट की बीमारियाँ नहीं होती हैं तथा भूख एवं पाचन की प्रक्रिया सामान्य होती है।
- दूब घास का स्वरस, प्याज का स्वरस एवं अदरख का स्वरस मौसमी नकसीर (नाक से खून निकलना) के रोगियों के नाक में दो से चार बूँद टपका देने मात्र से चमत्कारिक लाभ मिलता है।
- हरड का इस ऋतू में अलग-अलग प्रयोग विभिन्न रोगों में अचूक लाभ देता है जैसे :चबाकर खाने से भूख खुलती है,पीसकर खाने से पेट साफ़ होता है, उबालकर खाने से संग्रहणी (कोलाईटिस) में लाभ मिलता है।
- बर्षा ऋतु में गरिष्ट भोजन कब्ज का कारण बनता है अतः त्रिफला चूर्ण का आधे से एक चम्मच लगातार सेवन कब्ज को दूर कर,पाईल्स के रोगियों में लाभ देता है।इसी आर्टिकल को पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें :http://religion.bhaskar.com/article/yoga-kick-off-such-diseases-in-the-monsoon-2226063.html
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें