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शनिवार, 17 सितंबर 2011

जब भी दही खाएं ये बातें जरूर याद रखें क्योंकि...

हमारी धर्म एवं संस्कृति में खाने पीने के पदार्थों का बड़ा महत्व है,पूजा हो या त्यौहार या कहीं जाना हो यात्रा पर, या करनी हो शुभ काम की शुरुआत तो इन सब में एक नाम याद आता है दही। बड़ी गुणी है ये दही, पर कब यह आयुर्वेद के ऋषि मुनियों के वचन से आप जान सकते हैं -
 - दही हमेशा ताजी ही प्रयोग करनी चाहिए।
 - रात्री में दही के सेवन को हल्का काला नमक,शक्कर या शहद  के साथ ही किया जाना चाहिए।
 - मांसाहार के साथ दही के सेवन को विरुद्ध माना गया है।
 - दही दस्त या अतिसार के रोगियों में मल को बांधनेवाली होती है,पर सामान्य अवस्था में अभिस्यंदी अर्थात कब्ज कर सकती है।
 - ग्रीष्मऋतु में जब लू चल रही हो तब दही की लस्सी ऊर्जा प्रदान करने वाली तथा शरीर में जलीयांश की कमी को दूर करती है।
 - नृत्य सेवन से दही का प्रभाव शरीर के लिए गुणकारी हो जाता है।
 - मधुमेह से पीडि़त रोगियों में दही का सेवन संयम से करना चाहिए।
 - दही का सेवन कुछ आयुर्वेदिक औषधियों में सह्पान के साथ कराने का भी  विधान है, जिससे दवा का प्रभाव बढ़ जाता है।
 - दही से बना मट्ठा कोलाईटीस के रोगियों में रामबाण आयुर्वेदिक दवा है ।
 - बच्चों में ताजी दही पेट सम्बंधी विकारों को दूर करती है।
 -दही एवं कच्चे केले को पकाकर आंवयुक्त अतिसार (म्युकोइड स्टूल ) को रोका जा सकता है।
 - जब खांसी,जुखाम,टांसिल्स एवं, सांस की तकलीफ  हो तब दही का सेवन न करें तो अच्छा।
 - दही सदैव ताज़ी एवं शुद्ध घर में मिटटी के बर्तन  क़ी बनी हो तो अत्यंत गुणकारी होती है।
 - त्वचा रोगों में दही का सेवन सावधानी पूर्वक चिकित्सक के निर्देशन में करना चाहिए ।
 - मात्रा से अधिक दही के सेवन से बचना चाहिए।
 - अर्श (पाईल्स ) के रोगियों को भी दही का सेवन सावधानीपूर्वक करना चाहिए तो ऐसी है दही ,बड़ी गुणकारी,रोगों में दवा पर सावधानी से करें प्रयोग।इसी आर्टिकल को पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें http://religion.bhaskar.com/article/yoga-yogurt-must-also-remember-these-things-because-2395740.html

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