कहा गया है ,शरीर और प्राणवायु का हमेशा रहने वाला संयोग ही आयु है और इनका वियोग मृत्यु। संसार में कोई भी ऐसा प्राणी नहीं है,जिसकी मृत्यु न हो, अत: जीवन में सुखायु प्राप्त करने के लिए आये हुए रोगों का उपचार करते रहना चाहिए। चिकित्सक आयु पर हुकूमत नहीं कर सकता,वह तो एक साधन के रूप में केवल रोगों का निवारण करता है। वैसे लोग जो अपनी चिकित्सा समय पर नहीं करवाते,उन्हें ठीक हो सकने वाला रोग भी कठिन रोग में तथा समय बीत जाने पर असाध्य (ठीक न होनेवाले ) रोग में परिवर्तित हो जाता है,कहा जाता है कि़ हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए चार पुरुषार्थ का पालन : धर्म- अनुशासनात्मक जीवन व्यतीत करना ,अर्थ-ईमानदारी से जीविकोपार्जन योग्य धन कमाना,काम- स्त्रियों में पुरुषों के प्रति स्नेह एवं पुरुषों में स्त्रियों के प्रति स्नेह का आदान-प्रदान एवं मोक्ष -ईश्वर प्राप्ति के उद्देश्य हेतु प्रयत्नशील रहना आवश्यक है।
मृत्यु एक स्वाभाविक सत्य है,जो समय आने पर शरीर की क्षमता के क्षय होने के कारण उत्पन्न होती है, इसे रोका तो नहीं जा सकता , हाँ थोड़ा शरीर को रोगमुक्त कर आगे जरूर खिसकाया जा सकता है। अत: आयुर्वेद में वर्णित रसायन औषधियां कमोबेश यही काम करती हैं। कहा जाता है, कि हिमालय स्थित द्रोणगिरी पर्वत पर मिलनेवाली संजीवनी-बूटी जैसी औषधियां मृत्यु को यमराज के हाथ से खींच लेती थी, ऐसे ही योग-साधना द्वारा भी प्राचीन ऋषि-मुनि अपनी लम्बी आयु को हासिल करते थे,आज भी इन औषधियों क़ी तलाश जारी है। हिमालय क्षेत्र में मिलने वाला ब्रह्म -कमल एवं कीड़ा -जड़ी (यारसा-गम्बू ) जैसी औषधियों का प्रयोग सदियों से लोग आयु को बढाने में करते आ रहे हैं।अत: मृत्यु एक अटूट सत्य होते हुए भी इसकी अवधि को बढाने के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ आज भी मौजूद हैं।
मृत्यु एक स्वाभाविक सत्य है,जो समय आने पर शरीर की क्षमता के क्षय होने के कारण उत्पन्न होती है, इसे रोका तो नहीं जा सकता , हाँ थोड़ा शरीर को रोगमुक्त कर आगे जरूर खिसकाया जा सकता है। अत: आयुर्वेद में वर्णित रसायन औषधियां कमोबेश यही काम करती हैं। कहा जाता है, कि हिमालय स्थित द्रोणगिरी पर्वत पर मिलनेवाली संजीवनी-बूटी जैसी औषधियां मृत्यु को यमराज के हाथ से खींच लेती थी, ऐसे ही योग-साधना द्वारा भी प्राचीन ऋषि-मुनि अपनी लम्बी आयु को हासिल करते थे,आज भी इन औषधियों क़ी तलाश जारी है। हिमालय क्षेत्र में मिलने वाला ब्रह्म -कमल एवं कीड़ा -जड़ी (यारसा-गम्बू ) जैसी औषधियों का प्रयोग सदियों से लोग आयु को बढाने में करते आ रहे हैं।अत: मृत्यु एक अटूट सत्य होते हुए भी इसकी अवधि को बढाने के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ आज भी मौजूद हैं।
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