महिलाओं को सेक्सुअल कमजोरी के नाम पर दवा कंपनियां विश्वभर में "वियाग्रा "जैसी दवा लाने क़ि तैयारी कर रही हैं .
इस प्रकार क़ि स्थिति को नया नाम "फीमेल सेक्सुअल डेसोडर" दिया जा रहा है.
ऑस्ट्रेलिया स्थित न्यू कास्टल विश्वविद्यालय के पत्रकार, प्रवक्ता एवं शोधकर्ता रे मोयानिहन ने अपनी पुस्तक "सेक्स लायीज फार्मासुतिकाल्स" में लिखा है
दवा कम्पनियाँ अपने कर्मचारियों को बाकायदा प्रायोजित तौर पर तैयार कर रही है ,की इस प्रकार के सर्वे द्वारा महिलाओं में यौन शैथिल्यता को अधिक से अधिक प्रचारित किया जाय,ताकि महिलाओं को इसकी ओर अधिक से अधिक आकर्षित किया जा सके.
दवा कम्पनियां महिलाओं में" वियाग्रा" जैसी दवा को बाजार में लाने के लिए अरबों डॉलर खर्च कर रही हैं .क्योंकि उन्हें पता है की मर्दों में "वियाग्रा" नाम की दवा से साल में ५०० मीलियन डॉलर की कमाई हो रही है
महिलाओं में सेक्सुअल कमजोरी से निजात पाने के लिए Testesterone का प्रयोग होता रहा है.तथा इसके अलावा एक antidepressant दवा जिसमें सेराटोनिन एवं DHEA नाम का होरमोन है ,जो Testesterone में बदल कर सेक्सुअल पावर को बढाता है ,अभी भी प्रतीक्षासूची में है
लेकिन शोधकर्ताओं का यह मानना है की महिलाओं में इस प्रकार के इलाज का औचित्य अभी एक प्रश्न है.
उनका यह मानना है की दवा कंपनियां महिलाओं की सेक्सुअल समस्याओं को निहित अपने सेल बढाने के लिए प्रायोजित कर प्रचारित कर रही हैं
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