हाल के कुछ दिनों में आयुर्वेदिक छात्रों में आयुर्वेद में उच्च उपाधि लेने का एक शौक जाग पड़ा है, इसी शौक का फायदा आज इस क्षेत्र में खुल रहे निजी कॉलेज बखूबी उठा रहे हैंIऐसे कालेजों की महाराष्ट्र,कर्नाटक एवं कुछ अन्य राज्यों में अच्छी खासी तादाद बन आयी है,जो बगैर किसी मानक के केवल पैसों के आधार पर छात्रों को एम्.डी.एवं एम्.एस .की डिग्री देने की गारंटी दे रहे हैंIबस आवश्यकता है, सिर्फ ८ से १० लाख रुपयों की,और यदि आपके पास थोड़े अधिक पैसे हैं तो आप को घर बैठे डिग्री दिलाने की सुविधा उपलब्ध हैIइन कालेजों के पास केवल कागजों में रीडर एवं प्रोफ़ेसर उपलब्ध हैं ,जो कौंसिल के निरीक्षण के समय कालेजों में उपलब्ध हो जाते हैं तथा शेष समय अपनी निजी प्रेक्टिस में बिताते हैंIये अपने छात्रों को थेसिस लिखने में काफी मददगार होते हैं ,क्योंकि उन्हें इसका पता ही नहीं होता की छात्र को शोध कैसे कराना है Iये कालेज पंचकर्म,गायनी एवं शल्य जैसे क्लिनिकल विषयों में घर बैठे डिग्री देने की बात कर रहे हैं,बस आपको चुनिदा समयों में ही कालेज में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी हैI
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की तरह ही आयुर्वेद में शोध को बढ़ावा देने के लिए तथा अच्छे शिक्षक तैयार करने के उदेश्य से ये पाठ्यक्रम प्रारम्भ किये गए थे,लेकिन शायद अब इनका उदेश्य बदल कर एक शौक रह गया हैIइन कालेजों के नाम सी.सी.आई.एम्.की वेबसाइट पर उपलब्ध होने के कारण छात्र भी खुशी खुशी पैसे देकर गर्व से प्रवेश ले रहे हैंIआज जहाँ आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की पढाई के विषय में परिवर्तन का प्रस्ताव लाया जा रहा है तथा मेडिकल प्रेक्टिस के लाइसेंस दिए जाने के नियमों को अधिक प्रतियोगी बनाये जाने की दिशा में कार्य हो रहा है वहीँ आयुर्वेद की उच्च उपाधियों में प्रवेश के नियम सहित मानकों का पालन कागजों में हो रहा हैIकालेजों में उपस्थित फेकल्टी की उपस्थिती में बायोमेट्रिक तकनीक के इस्तेमाल की बात तो दूर कई कालेज केवल कागजों में अपने अस्पताल तथा विभाग चला रहे हैंIएक छात्र जिसने महारास्ट्र के एक कालेज में पंचकर्म पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया वह बड़ा ही खुश है ,की मैं अपने घर में अपनी नौकरी करते हुए पंचकर्म विशेषज्ञ बन जाउंगा,यही हाल अन्य विषयों का भी है.ऐसे डिग्रीधारी विशेषज्ञ क्या समाज को देंगे तथा आनेवाले समय मैं कैसे शिक्षक बनेंगे यह बात आयुर्वेद के कौंसिल मैं बैठे लोगों को मालूम होगीI
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