आचार्यों ने जीवन जीने की कलाओं के सन्दर्भ में खाने -पीने,व्यवहार करने से लेकर करने एवं न करने आदि जैसे अनेक छोटी -छोटी बातों को बताया है। ये बातें भले छोटी और निरर्थक लगती हो, पर इनकी गंभीरता पर लेश मात्र भी संदेह नहीं किया जाना चाहिए। ऐसी ही कुछ बातें आयुर्वेद में वेग-धारण के नाम से बताये गयी है। कहा गया है, कि इन 13 वेगों में से किसी एक को भी आपने रोका तो बीमारी तो तय समझिए।
वात का वेग - इसमें नीचे से निकलने वाली अपान वायु एवं ऊपर से निकलने वाली उध्र्ववात को नहीं रोकना चाहिए।
विट का वेग - आये हुए मल त्याग करने के वेग को रोकना भी बीमारियोँ का कारण बन सकता है।
मूत्र का वेग - आये हुए पेशाब के वेग को कतई नहीं रोकना चाहिए।
क्षींक का वेग -क्षींक के स्वाभाविक रिफ्लेक्स को रोकना भी खतरनाक हो सकता है।
प्यास का वेग - स्वाभाविक रूप से पानी पीने क़ी इच्छा हो तो इसे कभी भी नहीं रोकना चाहिए।
क्षुधा का वेग - भूख यदि स्वाभाविक रूप से लग रही हो तो इसे रोकने का प्रयास न करें।
निद्रा का वेग - स्वाभाविक रूप से नींद आना स्वस्थ होने का परिचायक है इसे भी रोकने का प्रयास नहीं करना चाहिए।
कास का वेग - यदि सामान्य रूप से खांसी आ रही हो तो यह एक रिफ्लेक्स है जिसे आने देना चाहिए, हां ये बेहतर होगा कि़ खांसते वक्त मुंह पर रूमाल रख लिया जाय
श्वास का वेग -अत्यधिक कार्य करने से यदि सामान्य से अधिक सांस आ रही हो तो इससे घबराना नहीं चाहिए और नहीं रोकना चाहिए।
जम्हाई का वेग - यदि आपको जम्हाई आ रही हो तो आने दें , इसे भी नहीं रोकें ।
अश्रु का वेग - आंखों क़ी सफाई के लिए सामान्य रूप से कभी- कभी आंसू अनायास ही निकल पड़ते हैं, इन्हें भी नहीं रोकने का प्रयास न करेंट।
छर्दी का वेग - सामान्य रूप से बिना किसी रोग के भी कभी- कभी उल्टी आ सकती है ,यह पेट की सफाई के लिए होती है ,यदि अधिक न हो तो इसे आने देना चाहिए।
शुक्र का वेग - सामान्य रूप से यौन संपर्क की चरमोत्कर्ष पर आने वाले शुक्र के वेग को भी नहीं रोकना चाहिए।
है न कमाल की बातें ,पर बिल्कुल सत्य। अगर आप इन स्वाभाविक वेगों को रोकेंगे तो विभिन्न रोगों के शिकार बन जाएंगे।इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें :http://religion.bhaskar.com/article/yoga-taken-care-of-thirteen-probably-fix-the-disease-2395488.html
वात का वेग - इसमें नीचे से निकलने वाली अपान वायु एवं ऊपर से निकलने वाली उध्र्ववात को नहीं रोकना चाहिए।
विट का वेग - आये हुए मल त्याग करने के वेग को रोकना भी बीमारियोँ का कारण बन सकता है।
मूत्र का वेग - आये हुए पेशाब के वेग को कतई नहीं रोकना चाहिए।
क्षींक का वेग -क्षींक के स्वाभाविक रिफ्लेक्स को रोकना भी खतरनाक हो सकता है।
प्यास का वेग - स्वाभाविक रूप से पानी पीने क़ी इच्छा हो तो इसे कभी भी नहीं रोकना चाहिए।
क्षुधा का वेग - भूख यदि स्वाभाविक रूप से लग रही हो तो इसे रोकने का प्रयास न करें।
निद्रा का वेग - स्वाभाविक रूप से नींद आना स्वस्थ होने का परिचायक है इसे भी रोकने का प्रयास नहीं करना चाहिए।
कास का वेग - यदि सामान्य रूप से खांसी आ रही हो तो यह एक रिफ्लेक्स है जिसे आने देना चाहिए, हां ये बेहतर होगा कि़ खांसते वक्त मुंह पर रूमाल रख लिया जाय
श्वास का वेग -अत्यधिक कार्य करने से यदि सामान्य से अधिक सांस आ रही हो तो इससे घबराना नहीं चाहिए और नहीं रोकना चाहिए।
जम्हाई का वेग - यदि आपको जम्हाई आ रही हो तो आने दें , इसे भी नहीं रोकें ।
अश्रु का वेग - आंखों क़ी सफाई के लिए सामान्य रूप से कभी- कभी आंसू अनायास ही निकल पड़ते हैं, इन्हें भी नहीं रोकने का प्रयास न करेंट।
छर्दी का वेग - सामान्य रूप से बिना किसी रोग के भी कभी- कभी उल्टी आ सकती है ,यह पेट की सफाई के लिए होती है ,यदि अधिक न हो तो इसे आने देना चाहिए।
शुक्र का वेग - सामान्य रूप से यौन संपर्क की चरमोत्कर्ष पर आने वाले शुक्र के वेग को भी नहीं रोकना चाहिए।
है न कमाल की बातें ,पर बिल्कुल सत्य। अगर आप इन स्वाभाविक वेगों को रोकेंगे तो विभिन्न रोगों के शिकार बन जाएंगे।इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक करें :http://religion.bhaskar.com/article/yoga-taken-care-of-thirteen-probably-fix-the-disease-2395488.html
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