हमारा शरीर रूपी यन्त्र एक मशीन है,तो इसकी धमनियां एवं शिरायें इसकी लाइफलाइन हैं। इस लाइफलाइन में जीवन का प्रवाह निर्बाध गति से यदि कोई करता है, तो वो है हृदय। हृदय एक पम्प क़ी भांति गर्भ के 20वें सप्ताह से 120-160 प्रति मिनट क़ी दर से धडकना प्रारम्भ कर देता है और जीवन पर्यंत 72 प्रति मिनट क़ी दर से बिना थके धड़कता है।
क्या हमने कभी सोचा है, क़ि क्या ऐसी कौन सी ईश्वर प्रदत बैटरी है, जो इसे जन्म से मृत्युपर्यंत बिना चार्ज किये धड़कने को ऊर्जा पैदा करती है। जी हाँ, हमारे हृदय में भी "साइनोओरिकुलरनोड" नामक बैटरी होती है, जो इसे जीवन पर्यंत धड़कने क़ी ऊर्जा देती है। अगर किन्ही कारणों से यह बैटरी बंद हो जाय तो,फिर बाहर से "पेसमेकर" के रूप में बैटरी लगानी पड़ती है।
इसी प्रकार यदि खून क़ी नलियों में रुकावट आ जाय,या नलियाँ संकरी हो जाँय तो जोखिम और बढ़ जाता है। ऐसी ही स्थिति में दिल के दौरों क़ी संभावना और अधिक बढ़ जाती है। स्त्रियों क़ी अपेक्षा पुरुषों में दिल के दौरों के अधिक संभावना पायी जाती है, अतः पुरुषों को सावधानी क़ी विशेष आवश्यकता होती है, इसका कारण स्त्रियों में एच.डी.एल.क़ी मात्रा का 25% अधिक होना है।
एच.डी.एल. ह्रदय रोगों से बचाव करता है, यदि परिवार के बुजर्गों को हृदयरोग रहा हो तो,वंशानुगत प्रभाव से भी इसके होने क़ी संभावना रहती है। रक्त में सामान्य से अधिक लिपिड क़ी मात्रा भी हृदय रोगों क़ी संभावना को बढ़ा देती है। धूम्रपान करने वाले व्यक्ति में भी हृदय रोग क़ी संभावना अधिक होती है।
उच्चरक्तचाप भी हृदय रोग क़ी संभावना को बढ़ा देता है। रक्त में शर्करा क़ी अधिक मात्रा भी हृदयरोगों क़ी संभावना को बढ़ा देती है। मोटापा भी हृदयरोगों का कारण हो सकता है। रक्त में लाइपोप्रोटीन क़ी अधिक मात्रा भी हृदयरोग के उत्पत्ति का कारण हो सकती है। हृदय रोगों से बचाव हेतु आयुर्वेद में कुछ औषधियों का वर्णन है, जो उच्चरक्तचाप सहित हृदय क़ी मांशपेशियों को मजबूत करता है।
इन औषधियों में अर्जुन क़ी क्षाल,जहरमोहरा ,मोतीपिष्टी , हृदयार्नव रस आदि प्रमुख हैं। हाँ,आसनों एवं प्राणायाम का नियमित अभ्यास, तनावमुक्त सक्रिय दिनचर्या, नियंत्रित रक्तचाप-रक्त शर्करा एवं संयमित आहार हृदय रोगों क़ी संभावना को कम कर देता है।इसी आर्टिकल को पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें :http://religion.bhaskar.com/article/yoga-nature-has-engaged-a-battery-in-our-heart-2356366.html
क्या हमने कभी सोचा है, क़ि क्या ऐसी कौन सी ईश्वर प्रदत बैटरी है, जो इसे जन्म से मृत्युपर्यंत बिना चार्ज किये धड़कने को ऊर्जा पैदा करती है। जी हाँ, हमारे हृदय में भी "साइनोओरिकुलरनोड" नामक बैटरी होती है, जो इसे जीवन पर्यंत धड़कने क़ी ऊर्जा देती है। अगर किन्ही कारणों से यह बैटरी बंद हो जाय तो,फिर बाहर से "पेसमेकर" के रूप में बैटरी लगानी पड़ती है।
इसी प्रकार यदि खून क़ी नलियों में रुकावट आ जाय,या नलियाँ संकरी हो जाँय तो जोखिम और बढ़ जाता है। ऐसी ही स्थिति में दिल के दौरों क़ी संभावना और अधिक बढ़ जाती है। स्त्रियों क़ी अपेक्षा पुरुषों में दिल के दौरों के अधिक संभावना पायी जाती है, अतः पुरुषों को सावधानी क़ी विशेष आवश्यकता होती है, इसका कारण स्त्रियों में एच.डी.एल.क़ी मात्रा का 25% अधिक होना है।
एच.डी.एल. ह्रदय रोगों से बचाव करता है, यदि परिवार के बुजर्गों को हृदयरोग रहा हो तो,वंशानुगत प्रभाव से भी इसके होने क़ी संभावना रहती है। रक्त में सामान्य से अधिक लिपिड क़ी मात्रा भी हृदय रोगों क़ी संभावना को बढ़ा देती है। धूम्रपान करने वाले व्यक्ति में भी हृदय रोग क़ी संभावना अधिक होती है।
उच्चरक्तचाप भी हृदय रोग क़ी संभावना को बढ़ा देता है। रक्त में शर्करा क़ी अधिक मात्रा भी हृदयरोगों क़ी संभावना को बढ़ा देती है। मोटापा भी हृदयरोगों का कारण हो सकता है। रक्त में लाइपोप्रोटीन क़ी अधिक मात्रा भी हृदयरोग के उत्पत्ति का कारण हो सकती है। हृदय रोगों से बचाव हेतु आयुर्वेद में कुछ औषधियों का वर्णन है, जो उच्चरक्तचाप सहित हृदय क़ी मांशपेशियों को मजबूत करता है।
इन औषधियों में अर्जुन क़ी क्षाल,जहरमोहरा ,मोतीपिष्टी , हृदयार्नव रस आदि प्रमुख हैं। हाँ,आसनों एवं प्राणायाम का नियमित अभ्यास, तनावमुक्त सक्रिय दिनचर्या, नियंत्रित रक्तचाप-रक्त शर्करा एवं संयमित आहार हृदय रोगों क़ी संभावना को कम कर देता है।इसी आर्टिकल को पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें :http://religion.bhaskar.com/article/yoga-nature-has-engaged-a-battery-in-our-heart-2356366.html
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