हमारे दैनिक जीवन के खाने पीने के पदार्थों में नमक एवं शक्कर का प्रयोग सामान्य रूप से देखा जाता है। हमारे मन में अक्सर यह सवाल उठता है।
हमें नमक क़ी कितनी मात्रा लेनी चाहिए,कई लोग तो ब्लडप्रेशर बढ़ जाने के डर से नमक बिल्कुल बंद कर देते हैं,वैसे भी शक्कर को यदि-स्वीटपोइजन-कहा जाता है, तो नमक के लिए - मिनरलपोइजन- शब्द का प्रयोग किया जाता है। नमक का अधिक मात्रा में प्रयोग अनावश्यक रूप से गुर्दों क़ी क्रियाशीलता को बढ़ाकर उनकी शक्ति को क्षीण करता है। यह सत्य है,कि़ नमक हमारे भोजन में मिलने वाले स्वाद को बढाता है,लेकिन अधिक मात्रा में स्वास्थ्य पर इसका उल्टा प्रभाव पड़ता है। नमक का अधिक मात्रा में प्रयोग निम्न बिमारीयों में जीवन को दूभर बना सकता है।सरदर्द,नींद न आना,माइग्रेन,ह्रदय रोग,गुर्दे के रोग,लीवर क़ी बीमारी,गठिया,वातरोग आदि डॉ फ्रेडरीक मार्वूड द्वारा एक सौ कैंसर पीडि़तों में किये गए एक शोध के अनुसार एक को छोड़कर अधिकांश रोगी नमक के शौकीन पाए गए। हमारे शरीर को प्रतिदिन दो ग्रेन नमक की आवश्यकता होती है, जिसे हम केवल 50 ग्राम सब्जियों से प्राप्त कर सकते हैं,अर्थात यदि भोजन में पर्याप्त मात्रा में फल सब्जियों का प्रयोग हो तो अतिरिक्त नमक क़ी आवश्यकता ही नहीं है। यदि मोटे तौर पर कहा जाय तो नमक के अधिक लेने से फायदा कम और नुकसान अधिक है।हाँ, यदि एक शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय व्यक्ति को अतिरिक्त नमक लेना आवश्यक है। अन्यथा बदन दर्द,थकान जैसे लक्षण देखे जा सकते है।अत: कहा जा सकता है , कि़ यदि आप अनिद्रा, उच्चरक्तचाप से पीडि़त हों तो आज ही नमक क़ी मात्रा अपने दैनिक भोजन में कम कर दें,देखें आपको अच्छी नींद आयेगी और आपका रक्तचाप काफी नियंत्रित हो जाएगा।इसी आर्टिकल को पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें : http://religion.bhaskar.com/article/yoga-salt-is-also-a-poison-so-keep-in-mind-or-else-2371604.html 2371604.html
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