आयुर्वेद को आपने एक चिकित्सा विज्ञान के रूप में जाना होगा, पर यह कहना अतिशयोक्ती न होगी कि़ यह जीवन जीने की कला को सिखाता है
आयुर्वेद के प्रयोजन यानि उद्देश्य को देखने पर 'धर्म-अर्थात अनुशासन पूर्वक जीवन जीना,अर्थ - ईमानदारी पूर्वक अर्थ अर्जन करना,काम- अपने काम को पूर्ण निष्ठा से अंजाम देना एवं 'मोक्ष '- परमपिता परमेश्वर के अंश के रूप में मिलकर मुक्ति प्राप्त करना बताया गया है। दुनिया की शायद एक मात्र ऐसी चिकित्सा पद्धति है, जो स्वस्थ के स्वास्थ्य संरक्षण के साथ रोगियों के रोग को निर्मूल करने के सिद्धांतों को आधार मानकर चिकित्सा करने के पावन उद्देश्य पर आधारित हो।आपके जीवन को सफल बनाने के कुछ ऐसे ही आयुर्वेदिक मंत्र निम्न हैं,जिन्हें अपनाकर आप जीवन को सुखायु से युक्त कर पायेंगे।
-जीवन में सदवृत पालन करें।
- ब्रह्मचर्य का पालन जीवनीय शक्ति को सरंक्षित करने वाला होता है।
-भोजन अपनी जठर -अग्नि को ध्यान में रखकर ही करें।
-आये हुए वेगों को न रोकें।
-जीवन में संस्कारों को तय वक्त पर नियमों के अनुसार ही करें।
-भोजन सहित पथ्य-अपथ्य का ध्यान रखें।
-प्राकृतिक रूप से जीवन जीने का प्रयास करें।
-किसी भी विषय में स्वयं को पारंगत न समझें,सतत अध्ययन एवं अनेक शास्त्रों का अध्ययन ही व्यक्ति को विद्वान् बनाता है।
-आचार रसायनों के सेवन से जीवन में सफलता मिलती है।
-अकारण तनाव मानसिक रोगों का कारण बनता है अत: तनाव मुक्त रहने के लिए शिरोधारा जैसी विधियों को पंचकर्म चिकत्सक के माध्यम से प्रयोग में लायें।
-समयबद्ध एवं नियमबद्ध जीवन सफलता की कुंजी है।
ऐसे ही अनेक आचार्यों के सक्सेस मन्त्रों का समागम है आयुर्वेद, जो अनादि,शाश्वत और नित्य है।
आयुर्वेद के प्रयोजन यानि उद्देश्य को देखने पर 'धर्म-अर्थात अनुशासन पूर्वक जीवन जीना,अर्थ - ईमानदारी पूर्वक अर्थ अर्जन करना,काम- अपने काम को पूर्ण निष्ठा से अंजाम देना एवं 'मोक्ष '- परमपिता परमेश्वर के अंश के रूप में मिलकर मुक्ति प्राप्त करना बताया गया है। दुनिया की शायद एक मात्र ऐसी चिकित्सा पद्धति है, जो स्वस्थ के स्वास्थ्य संरक्षण के साथ रोगियों के रोग को निर्मूल करने के सिद्धांतों को आधार मानकर चिकित्सा करने के पावन उद्देश्य पर आधारित हो।आपके जीवन को सफल बनाने के कुछ ऐसे ही आयुर्वेदिक मंत्र निम्न हैं,जिन्हें अपनाकर आप जीवन को सुखायु से युक्त कर पायेंगे।
-जीवन में सदवृत पालन करें।
- ब्रह्मचर्य का पालन जीवनीय शक्ति को सरंक्षित करने वाला होता है।
-भोजन अपनी जठर -अग्नि को ध्यान में रखकर ही करें।
-आये हुए वेगों को न रोकें।
-जीवन में संस्कारों को तय वक्त पर नियमों के अनुसार ही करें।
-भोजन सहित पथ्य-अपथ्य का ध्यान रखें।
-प्राकृतिक रूप से जीवन जीने का प्रयास करें।
-किसी भी विषय में स्वयं को पारंगत न समझें,सतत अध्ययन एवं अनेक शास्त्रों का अध्ययन ही व्यक्ति को विद्वान् बनाता है।
-आचार रसायनों के सेवन से जीवन में सफलता मिलती है।
-अकारण तनाव मानसिक रोगों का कारण बनता है अत: तनाव मुक्त रहने के लिए शिरोधारा जैसी विधियों को पंचकर्म चिकत्सक के माध्यम से प्रयोग में लायें।
-समयबद्ध एवं नियमबद्ध जीवन सफलता की कुंजी है।
ऐसे ही अनेक आचार्यों के सक्सेस मन्त्रों का समागम है आयुर्वेद, जो अनादि,शाश्वत और नित्य है।
इसी लेख को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें http://religion.bhaskar.com/article/yoga-take-care-of-these-things-youll-come-running-to-you-2437745.html
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें