अक्सर बीमारियाँ जाने अनजाने एवं अधीर होकर व्यवहार करने से होती हैं। आयुर्वेद में इसे प्रज्ञाअपराध कहा जाता है। जैसे यदि हमें मालूम है कि असुरक्षित यौन सम्बन्ध खतरनाक हो सकता है फिर भी जानबूझकर,अनजाने में या भूलवश किये गए व्यवहार के कारण 'एच.आई .वी.' जैसे संक्रमणों का खतरा वर्षों पूर्व आयुर्वेद के मनीषियों ने प्रज्ञाअपराध नाम से बताया था। प्रज्ञाअपराध को सभी रोगों की उत्पत्ति का कारण माना गया है अर्थात जीवन में खाने-पीने,संयमित व्यवहार करने ,पथ्य-अपथ्य,सात्म्य (जो प्रकृति के अनुरूप हो ),अच्छी दिनचर्या ,ऋतुचर्या एवं तनाव मुक्त रहकर मानसिक रूप से स्वस्थ होना आवश्यक है।
कुछ छोटी-छोटी बातें जिसे हम अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
- संयमित व्यवहार
- संयमित खानपान
- संयमित दिनचर्या
- संयमित ऋतुचर्या
- संयमित रूप से चिकित्सक के परामर्श में रसायन औषधि का प्रयोग
- यम नियम का पालन करते हुए योग का अभ्यास
-पंचकर्म का स्वास्थय संरक्षण हेतु चिकित्सक के निर्देशन में प्रयोग
ये कुछ ऐसी बातें हैं , जो जीवन की गाडी को बिना अवरोध के चलाने में सहायक हो सकती हैइ
कुछ छोटी-छोटी बातें जिसे हम अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
- संयमित व्यवहार
- संयमित खानपान
- संयमित दिनचर्या
- संयमित ऋतुचर्या
- संयमित रूप से चिकित्सक के परामर्श में रसायन औषधि का प्रयोग
- यम नियम का पालन करते हुए योग का अभ्यास
-पंचकर्म का स्वास्थय संरक्षण हेतु चिकित्सक के निर्देशन में प्रयोग
ये कुछ ऐसी बातें हैं , जो जीवन की गाडी को बिना अवरोध के चलाने में सहायक हो सकती हैइ
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