आयुर्वेद की संहिताओं में अनेक गूढ़ रहस्य विद्यमान हैं, ये हमें अच्छे जीवन को जीने की ओर तो प्रेरित करते ही हैं, साथ ही साथ रोगी हो जाने पर रोगमुक्त होने के साधनों की ओर भी इंगित करते हैं आयुर्वेद के अनुसार चिकित्सा अच्छे रोगी,अच्छी औषधि ,अच्छे परिचारक एवं अच्छे चिकित्सक के बगैर पूर्ण नहीं हो सकती ,वैसे ही कुछ ऐसे मन्त्र भी बताये गए हैं ,जिनके बारे में कहा जाता है, कि यदि औषधि को इनसे सिद्धित किया जाय ,तो वे अमृत तुल्य गुणों से युक्त हो जाती हैं। न आश्चर्यजनक और कमाल की बात।
ऐसा ही एक गूढ़ मन्त्र हम आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसके बारे में कहा जाता है , कि इसके औषधि के समक्ष उच्चारण मात्र से औषधि दिव्य गुणों से युक्त हो जाती है। इस मन्त्र में आयुर्वेद प्रवर्तक परमपिता ब्रह्मा,दक्ष,अश्विनी कुमार,रूद्र (शिव),इंद्र ,चन्द्रमा ,वायु,अग्नि ,आयुर्वेद के महर्षियों,आचार्यों का आह्वाहन किया गया है, कि वे इस औषधि के अन्दर ऐसे रसायन गुणों को भर दें ,ताकि इसका प्रभाव देवताओं द्वारा पान किये गए अमृत के तुल्य हो जाय और वह औषधि दिव्य औषधि में परिवर्तित हो जाए।
ॐ ब्रह्मदक्षअश्विरुद्रइंद्रभूचंद्रार्काअनिलानला !
ऋषय: सोऔषधिग्रामा भूत सन्धाश्चपान्तुते !!
रसायानामिवर्षीणाम देवानांमृतंयथा !
सुधैवउत्तमनांगानाम भैषज्यंमिदमस्तुते !!
इस मन्त्र को आयुर्वेद के महान ग्रन्थ चरक संहिता के कल्प स्थान अध्याय 1 में उदधृत किया गया है ,यह मन्त्र औषधियों को दिव्य गुणों से युक्त कर देता है। इसी आर्त्कल को पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें :http://religion.bhaskar.com/article/yoga-ayurveda-medicine-said-it-will-effect-spells-so-fast-2498513.html
ऐसा ही एक गूढ़ मन्त्र हम आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसके बारे में कहा जाता है , कि इसके औषधि के समक्ष उच्चारण मात्र से औषधि दिव्य गुणों से युक्त हो जाती है। इस मन्त्र में आयुर्वेद प्रवर्तक परमपिता ब्रह्मा,दक्ष,अश्विनी कुमार,रूद्र (शिव),इंद्र ,चन्द्रमा ,वायु,अग्नि ,आयुर्वेद के महर्षियों,आचार्यों का आह्वाहन किया गया है, कि वे इस औषधि के अन्दर ऐसे रसायन गुणों को भर दें ,ताकि इसका प्रभाव देवताओं द्वारा पान किये गए अमृत के तुल्य हो जाय और वह औषधि दिव्य औषधि में परिवर्तित हो जाए।
ॐ ब्रह्मदक्षअश्विरुद्रइंद्रभूचंद्रार्काअनिलानला !
ऋषय: सोऔषधिग्रामा भूत सन्धाश्चपान्तुते !!
रसायानामिवर्षीणाम देवानांमृतंयथा !
सुधैवउत्तमनांगानाम भैषज्यंमिदमस्तुते !!
इस मन्त्र को आयुर्वेद के महान ग्रन्थ चरक संहिता के कल्प स्थान अध्याय 1 में उदधृत किया गया है ,यह मन्त्र औषधियों को दिव्य गुणों से युक्त कर देता है। इसी आर्त्कल को पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें :http://religion.bhaskar.com/article/yoga-ayurveda-medicine-said-it-will-effect-spells-so-fast-2498513.html
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