दीपावली का त्योहार आने वाला है ,इस त्योहार में प्रकाश की जगमगाहट के साथ साथ मीठी -मीठी मिठाइयों एवं पकवानों को खाने एवं खिलाने का चलन भी है। यह ठीक है, कि मिठास हमारे जीवन क़ी आवश्यकता है ,यह वाणी सहित हमारे व्यवहार में हो तो क्या कहने। लेकिन यही मिठास यदि रक्त की शर्करा में बढ़ोतरी के रूप में हो, तो डायबिटीज को निमंत्रण देती है और यह तो आप जानते ही होंगे कि़ डायाबिटीज एक ऐसा डिसऑर्डर है ,जो कई बीमारियों का कारण बन जाता है।
कहते हैं,कि़ "अति सर्वत्र वज्र्यते" यह बात खाने- खिलाने में भी शत-प्रतिशत लागू होती है। जैसे कविताओं में मधुर रस क़ी महत्वपूर्ण भूमिका है, वैसे ही आयुर्वेद में मधुर रस को बड़ा ही महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है,इसे कफ दोष को बढाने वाला माना जाता है और इसके विपरीत गुणों वाला रस कटु रस माना गया है। वैसे भी मधुरता के उलट कटुता होती है। लेकिन त्योहारों में कटुता हमारे संस्कारों के विपरीत है, संभवत: इसलिए ही तीज-त्योहारों में आपसी मधुरता और भाईचारा बढाने के लिए मीठी-मीठी मिठाइयों एवं पकवानों को खाने एवं खिलाने का चलन है ,अत: हमें सयंमित होकर ही इनका सेवन करना चाहिए। ऐसी कुछ स्थितियां हैं जहां इनका सेवन न हो तो बेहतर है:-
-टाइप 1 या टाइप 2 डायाबिटीज के रोगी अतिरिक्त मीठे के सेवन से बचें तथा आहार में कटु-तिक्त एवं कसाय रस का सेवन अधिक करें। अगर स्वाद के कारण मीठा खाने की इच्छा हो तो शुगर फ्री का सेवन करें बाजारों में आजकल स्टीविया पादप से बने शुगर फ्री उपलब्ध हैं, अगर आप चाय पीने के शौकीन हैं, तो यथा संभव शुगर फ्री डालकर ग्रीन-टी का सेवन करें।
-त्योहारों में तले हुए पकवान जैसे मालपुवा आदि में अत्यधिक गरिस्टता हमारी पाचन क्षमता को प्रभावित कर सकती है ,अत: इनका सेवन कम से कम ही करें तो बेहतर होगा ,खासकर हृदय एवं उच्च रक्तचाप के रोगी इनके सेवन से बचें।
-मिठाइयों में पडऩे वाले मावे की शुद्धता की जांच-परख कर लें, कहीं यह आपके लिए नुकसानदायक न हो। अत: मिठास हमारे त्योहारों ही नहीं बल्कि सामान्य जीवन की एक दैनिक आवश्यकता है ,बस ध्यान रहे की यह शुद्ध एवं संयमित हो।
कहते हैं,कि़ "अति सर्वत्र वज्र्यते" यह बात खाने- खिलाने में भी शत-प्रतिशत लागू होती है। जैसे कविताओं में मधुर रस क़ी महत्वपूर्ण भूमिका है, वैसे ही आयुर्वेद में मधुर रस को बड़ा ही महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है,इसे कफ दोष को बढाने वाला माना जाता है और इसके विपरीत गुणों वाला रस कटु रस माना गया है। वैसे भी मधुरता के उलट कटुता होती है। लेकिन त्योहारों में कटुता हमारे संस्कारों के विपरीत है, संभवत: इसलिए ही तीज-त्योहारों में आपसी मधुरता और भाईचारा बढाने के लिए मीठी-मीठी मिठाइयों एवं पकवानों को खाने एवं खिलाने का चलन है ,अत: हमें सयंमित होकर ही इनका सेवन करना चाहिए। ऐसी कुछ स्थितियां हैं जहां इनका सेवन न हो तो बेहतर है:-
-टाइप 1 या टाइप 2 डायाबिटीज के रोगी अतिरिक्त मीठे के सेवन से बचें तथा आहार में कटु-तिक्त एवं कसाय रस का सेवन अधिक करें। अगर स्वाद के कारण मीठा खाने की इच्छा हो तो शुगर फ्री का सेवन करें बाजारों में आजकल स्टीविया पादप से बने शुगर फ्री उपलब्ध हैं, अगर आप चाय पीने के शौकीन हैं, तो यथा संभव शुगर फ्री डालकर ग्रीन-टी का सेवन करें।
-त्योहारों में तले हुए पकवान जैसे मालपुवा आदि में अत्यधिक गरिस्टता हमारी पाचन क्षमता को प्रभावित कर सकती है ,अत: इनका सेवन कम से कम ही करें तो बेहतर होगा ,खासकर हृदय एवं उच्च रक्तचाप के रोगी इनके सेवन से बचें।
-मिठाइयों में पडऩे वाले मावे की शुद्धता की जांच-परख कर लें, कहीं यह आपके लिए नुकसानदायक न हो। अत: मिठास हमारे त्योहारों ही नहीं बल्कि सामान्य जीवन की एक दैनिक आवश्यकता है ,बस ध्यान रहे की यह शुद्ध एवं संयमित हो।
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