मधुमेह (डायबिटीज ) के कारणों की खोज में वैज्ञानिक वर्षों से शोध कर रहे हैं और नित नई जानकारी लेकर आ रहे हैं। अभी हाल ही में कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक आयरन ट्रांसपोर्ट मैकेनिज्म का पता लगाया है जो अग्नाशय की बीटा कोशिकाओं की इंसुलिन पैदा करने की क्षमता को समाप्त कर देता है। चूहों में किए गए इस प्रयोग में देखा गया कि जिनमें इस ट्रांसपोर्ट मेकेनिज्म का अभाव था,उनमें डायबिटीज नहीं पाया गया। इस शोध के परिणाम ख्यातिप्राप्त जर्र्नल सेल मेटाबोलिज्म में प्रकाशित हुए हैं।आप जानते होंगे कि टाइप-2 डायबिटीज को लॉइफ स्टाइल डीजीज के रूप में जाना जाता है और हर वर्ष इस रोग से पीडि़त रोगियों की संख्या में दोगुने से अधिक की वृद्धि हो जाती है। लोगों में टाइप-2 डायबिटीज तब उत्पन्न होता है जब अग्नाशय की बीटा-कोशिकाएं शरीर की आवश्यकता के अनुपात में इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाती हैं। इस शोध के अनुसार इसका एक कारण लौह तत्व को ले जाने वाला आयरन ट्रांसपोर्ट मेकेनिज्म भी है।
आप जानते होंगे कि लौह तत्व हमारे शरीर के लिए नितांत आवश्यक होता है ,क्योंकि यह अनेक एन्जाइम्स एवं प्रोटीन का प्रमुख घटक है, जो स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक भी है जैसे :लाल रक्त कणिकाएं आक्सीजन की वाहक हैं जिनका प्रमुख घटक आयरन है। अत: स्वस्थ रहने के लिए आयरन अत्यंत आवश्यक तत्व है ,लेकिन आप शायद यह भी जानते होंगे कि आयरन खतरनाक टॉक्सिक आक्सीजन फ्री रेडिकल्स का निर्माण भी करता है और कोशिकाओं में लौह तत्व की अत्यधिक मात्रा उतकों का विनाश कर रोगों को उत्पन्न भी करती हैं।
इस नई शोध से यह बात सिद्ध हुई है कि इन लौह तत्व को ले जाने वाली कार्यप्रणाली भी अग्नाशय की इंसुलिन पैदा करने वाली बीटा-कोशिकाओं को नष्ट कर देती हैं। चूहों की उन प्रजातियों में जिनमें जेनेटिक इंजीनियरिंग के माध्यम से इस मेकेनिज्म को हटा दिया गया था ,वे डायबिटीज से सुरक्षित पाए गए। इस शोध अध्ययन को एक बड़े समूह में कराया गया है अब वैज्ञानिक इस दिशा में कार्य करने कि तैयारी कर रहे हैं कि शरीर में पाए जाने वाले लौह तत्व में किस प्रकार परिवर्तन लाकर डायबिटीज के खतरे को कम किया जा सकता है। तभी डायबिटीज से पीडि़त रोगियों को अतिरिक्त आयरन सप्लीमेंट न लेने की सलाह देना संभव हो पाएगा।
आप जानते होंगे कि लौह तत्व हमारे शरीर के लिए नितांत आवश्यक होता है ,क्योंकि यह अनेक एन्जाइम्स एवं प्रोटीन का प्रमुख घटक है, जो स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक भी है जैसे :लाल रक्त कणिकाएं आक्सीजन की वाहक हैं जिनका प्रमुख घटक आयरन है। अत: स्वस्थ रहने के लिए आयरन अत्यंत आवश्यक तत्व है ,लेकिन आप शायद यह भी जानते होंगे कि आयरन खतरनाक टॉक्सिक आक्सीजन फ्री रेडिकल्स का निर्माण भी करता है और कोशिकाओं में लौह तत्व की अत्यधिक मात्रा उतकों का विनाश कर रोगों को उत्पन्न भी करती हैं।
इस नई शोध से यह बात सिद्ध हुई है कि इन लौह तत्व को ले जाने वाली कार्यप्रणाली भी अग्नाशय की इंसुलिन पैदा करने वाली बीटा-कोशिकाओं को नष्ट कर देती हैं। चूहों की उन प्रजातियों में जिनमें जेनेटिक इंजीनियरिंग के माध्यम से इस मेकेनिज्म को हटा दिया गया था ,वे डायबिटीज से सुरक्षित पाए गए। इस शोध अध्ययन को एक बड़े समूह में कराया गया है अब वैज्ञानिक इस दिशा में कार्य करने कि तैयारी कर रहे हैं कि शरीर में पाए जाने वाले लौह तत्व में किस प्रकार परिवर्तन लाकर डायबिटीज के खतरे को कम किया जा सकता है। तभी डायबिटीज से पीडि़त रोगियों को अतिरिक्त आयरन सप्लीमेंट न लेने की सलाह देना संभव हो पाएगा।
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