उच्च रक्तचाप आज के समय में कई दिल की बीमारियों सहित मष्तिष्क-आघात का सबसे बड़ा कारण है। प्रकृति ने हमें जीवन दिया है और प्रकृति ने ही हमें सुख के साधन भी दिए हैं। प्रकृति ने ही हमें विभिन्न फलों-सब्जियों के रूप में औषधि भी दी है बस आवश्यकता है इनके सही उपयोग को जानने की। हमारे पूर्वजों ,ऋषियों की आयु बहुत लंबी होती है और इसका सबसे बड़ा कारण उनकी प्राकृतिक जीवनशैली और प्रकृति से ही उपचार लेने के तौर तरीके थे। वर्तमान समय में किए जा रहे अनुसंधान भी इन्ही तथ्यों की पुष्टि करते हैं।अब हाल में ही किए गए एक शोध को ले लीजिए। जिसमें करोंदे के रसपान से रक्तचाप के कम करने वाले प्रभाव देखे गए हैं।
यू.एस .डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर .मेरीलेंड में जेनेट नोव्त्नी और उनकी टीम द्वारा कि ए गए एक शोध के परिणाम यह सिद्ध कर रहे हैं कि प्रतिदिन दो बार आठ आउंस की मात्रा में लो केलोरी करौंदे का रस पीना नान -हायपरटेंसिव लोगों में रक्तचाप को कम करता है। पूर्व के शोधों में भी करौंदे के रस को मूत्रवह संस्थान की विकृतियों में फायदेमंद पाया है। यह शोध 56 स्वस्थ लोगों में किया गया ,जिनमें रक्तचाप कोई समस्या नहीं थी और उनके मोटापे की माप (बी.एम.आई . 28.4 था। इन सभी को प्रतिदिन दो-दो ग्लास आठ औंस की मात्रा में करौंदे के रस का पान आठ सप्ताह तक कराया गया। इन सभी के रक्तचाप को पहले दिन,चौथे सप्ताह और अध्ययन के आखिर में तीन बार मापा गया।
परिणाम :- जिन्होंने करौंदे का रस पीया उनमें रक्तचाप 121/73 mm HG से घटकर 118/70mm HG आ गया,जबकि प्लेसीबो समूह में कोई परिवर्तन नहीं पाया गया। सिस्टोलिक और डायस्टोलिक रक्तचाप में 3 mm HG की कमी पाई गई। सबसे अच्छी बात यह है कि करौंदे के रस को लम्बे समय तक पीने से भी शरीर में अतिरिक्त कैलोरी नहीं बढ़ती है। बस इसमें अतिरिक्त शर्करा आदि नहीं मिलाई गई हो ,अमेरिकन हार्ट एसोसियेशन क़ी न्यूट्रीशन कमिटी के सदस्य प्रोफेसर डॉ.रसेल जोंसन का कहना है कि जो लोग लो-केलोरी फलों के रस को पीकर अपने रक्तचाप को कम करना कहते हैं ,उनके लिए करौंदे का रस एक उपयुक्त पसंद हो सकता है। इस शोध को संक्षिप्त रूप से अमेरिकन हार्ट एसोसिऐशन के 2012 के वैज्ञानिक सत्र में प्रस्तुत किया गया है।।इसी आर्टिकल को पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें:http://religion.bhaskar.com/article/yoga-this-is-a-natural-panacea-for-high-bloodpressure-3873390-NOR.html
यू.एस .डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर .मेरीलेंड में जेनेट नोव्त्नी और उनकी टीम द्वारा कि ए गए एक शोध के परिणाम यह सिद्ध कर रहे हैं कि प्रतिदिन दो बार आठ आउंस की मात्रा में लो केलोरी करौंदे का रस पीना नान -हायपरटेंसिव लोगों में रक्तचाप को कम करता है। पूर्व के शोधों में भी करौंदे के रस को मूत्रवह संस्थान की विकृतियों में फायदेमंद पाया है। यह शोध 56 स्वस्थ लोगों में किया गया ,जिनमें रक्तचाप कोई समस्या नहीं थी और उनके मोटापे की माप (बी.एम.आई . 28.4 था। इन सभी को प्रतिदिन दो-दो ग्लास आठ औंस की मात्रा में करौंदे के रस का पान आठ सप्ताह तक कराया गया। इन सभी के रक्तचाप को पहले दिन,चौथे सप्ताह और अध्ययन के आखिर में तीन बार मापा गया।
परिणाम :- जिन्होंने करौंदे का रस पीया उनमें रक्तचाप 121/73 mm HG से घटकर 118/70mm HG आ गया,जबकि प्लेसीबो समूह में कोई परिवर्तन नहीं पाया गया। सिस्टोलिक और डायस्टोलिक रक्तचाप में 3 mm HG की कमी पाई गई। सबसे अच्छी बात यह है कि करौंदे के रस को लम्बे समय तक पीने से भी शरीर में अतिरिक्त कैलोरी नहीं बढ़ती है। बस इसमें अतिरिक्त शर्करा आदि नहीं मिलाई गई हो ,अमेरिकन हार्ट एसोसियेशन क़ी न्यूट्रीशन कमिटी के सदस्य प्रोफेसर डॉ.रसेल जोंसन का कहना है कि जो लोग लो-केलोरी फलों के रस को पीकर अपने रक्तचाप को कम करना कहते हैं ,उनके लिए करौंदे का रस एक उपयुक्त पसंद हो सकता है। इस शोध को संक्षिप्त रूप से अमेरिकन हार्ट एसोसिऐशन के 2012 के वैज्ञानिक सत्र में प्रस्तुत किया गया है।।इसी आर्टिकल को पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें:http://religion.bhaskar.com/article/yoga-this-is-a-natural-panacea-for-high-bloodpressure-3873390-NOR.html
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