Dear Readers..Long awaited issue of AYUSH DARPAN (Jan-Jun 2013) is to be dispatched within one or two days through Indian Postal Services,we are in the course of updating our regular Readers Address Book and in one or two days we will display it in our official website...If you are a member and not receiving the previous issues of AYUSH DARPAN through post,My humble request is to you thatkindly re- update your complete postal address along with your mobile no.through SMS on 9760846878....Sorry for the inconvenience..with regards..Dr Navin Joshi,Editor,AYUSH DARPAN....!!
Previous issues of AYUSH DARPAN in Hindi is now available online visit:http://ayushdarpan.org

यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 15 अप्रैल 2013

जानिए विषैले पौधे के औषधीय महत्व को


आयुर्वेदिक चिकित्सा में पारद को बड़ा ही महत्व दिया गया है और शिव को प्रिय होने के कारण इसे “रसेन्द्र” नाम से भी जाना गया है I क्या आपने कभी सोचा है, क़ि  ऐसी कोई वनस्पति है, जिसे भगवान् शिव ने उसके औषधीय गुणों के कारण पारे के समान माना है I ..जानना चाहेंगे आप तो हम बताते हैं ,आपको उस दिव्य वनस्पति के बारे में जिसका  नाम “मदार” है I   आपने“मंदार मालाय जय गौरी शंकराय “.….नाम से लोगों को मन्त्रउच्चारित करते भी सुना होगा हाँ इसमें भी मदार क़ी  महिमा का बखान किया गया है I इस पौधे क़ी पहचान और गुणों क़ी संक्षिप्त चर्चा विडीयो में क़ी जा रही है जिससे आप इसके गूढ़ उपयोगों से साक्षात रूबरू होंगे I शुष्क ,उसर और प्रायः ऊँचाइयों में मिलने वाले मदार के पौधे प्रायः जनसामान्य में विषैले पौधे के रूप में जाने जाते हैं I  हाँ, आयुर्वेद में भी इसे उपविष क़ी संज्ञा दी गयी है I
आइये अब आपको परिचित कराते हैं  इस पौधे के औषधीय गुणों से जिसे  जानकर आप अचरज में पड़ जायेंगे ..I
-यदि आप सिर में फंगल संक्रमण के कारण होनेवाली खुजली से परेशान हैं तो आप इसका अर्क (दुग्ध ) का स्थानिक प्रयोग करें और लाभ देखें I
-मदार के पीले पके पत्तों पर घी चुपड़ कर धीमी आंच में गर्म कर उससे रस निकालकर दो से तीन बूँद कान में डालने से कर्ण रोगों में बड़ा ही लाभ मिलता है I
-दांत के किसी भी प्रकार के दर्द में मदार के दूध में हल्का सैंधा नमक मिलाकर पीड़ा वाले स्थान पर लगा देने मात्र से दंतशूल में लाभ मिलता हैI
-आक के आठ से दस पत्तों में पांच से दस ग्राम काली मिर्च मिलाकर अच्छी तरह पीसकर ,थोड़ी हल्दी मिलाकर मंजन करने से दांत को मजबूती मिलती है I
-आधे सिर के दर्द में पीले पड़े हुए मदार के एक से दो पत्तों के रस का नस्य (नाक में टपका देने से ) लाभ मिलता है I
-दमा के रोगीयों में मदार के फूल एवं  लौंग 10 से 20 ग्राम क़ी मात्रा में काली मिर्च  के पाउडर 2.5 ग्राम क़ी मात्रा के साथ अच्छी तरह पीसकर सुबह शाम 250 मिलीग्राम क़ी मात्रा क़ी एक एक गोली देने से भी लाभ मिलता है I
-मदार की  जड़ को सुखाकर जलाकर भस्मीकृत कर प्राप्त राख को शहद के साथ 2.5 से 5 ग्राम क़ी मात्रा में लेने खांसी एवं सांस क़ी तकलीफ में लाभ मिलता है I
-मदार के फूल को सुखाकर त्रिकटु (सौंठ ,मरीच एवं पिप्पली ) और यवक्षार के साथ मिलाकर खरल  में अदरख  स्वरस के साथ पीस लें और इसकी छोटी-छोटी गोलियां बना लें ..बस तैयार हो गयी गले क़ी खरास के लिए चूसने वाली दवा ..इससे आपका गला ठीक रहता है और सूखी खांसी में भी लाभ मिलता है I
-यदि भोजन नहीं पच रहा हो अर्थात अजीर्ण जैसी समस्या उत्पन्न हो रही हो तो मदार के पत्तों का स्वरस निकाल लें और इसमें बराबर मात्रा में एलोईवेरा (घृतकुमारी ) के रस को शक्कर के साथ मिलाकर पका लें …जब चीनी की  चासनी बन जाय तो इसे ठंढा कर किसी साफ़ सी कांच की  बोतल  में भर लें ..हो गयी अजीर्ण की निरापद दवा तैयार..जिसका इस्तेमाल बच्चों में विशेष लाभ दर्शाता है I
-जौंडिस (कामला ) के रोगियों में मदार की  एक कोपल को खाली पेट पान के पत्ते में रखकर चबाने से लाभ मिलता है I
-यदि पुराना घाव जो ठीक न हो रहा हो या नाडी व्रण/भगंदर जैसी स्थिति उत्पन्न हो गयी हो तो मदार का दूध 5 से 10 मिली की मात्रा में 2.5  ग्राम  दारुहरिद्रा के साथ मिलाकर रूई के बत्ती बनाकर घाव या नासूर पर लगाने मात्र से लाभ मिलता है I
-मदार के दूध में शुद्ध शहद और गाय का घी बराबर मात्रा में मिलाकर इसे खरल में चार से पांच घंटे तक घोटकर 2.5 से 5 ग्राम की मात्रा में खाने से नपुंसकता दूर होती है I
-पसलियों या मांसपेशियों की  दर्द में मदार के दूध में थोड़ा काला तिल मिलाकर जब लेप सा तैयार हो जाय तो इसे हल्का गर्म कर दर्द वाले स्थान पर लेप कर दें और ठीक इसके ऊपर आक के पत्तों को तिल या सरसों के तेल में चुपड़कर हलके  तवे पर गर्म कर प्रभावित  स्थान पर बाँध दे ..दर्द में फ़ौरन आराम मिलेगा I
-यदि आप जोड़ों की दर्द से हों परेशान तो बस मदार के फूल को सौंठ,काली मिर्च ,हरिद्रा और नागरमोथा के साथ बराबर मात्रा में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें और इसे एक से दो गोली सुबह-शाम चिकित्सक के निर्देशन में लें इससे आपको निश्चित लाभ मिलेगा I
-मदार के पत्तों  को कूटकर पोटली बनाकर ,घी लगाकर तवे पर गर्म कर (पोटली स्वेदन ) करने से भी दर्द में आराम मिलता है I
-कहीं भी खुजली या दाद जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही हो तो मदार के फूलों के गुच्छों को तोड़ने से निकले दूध में नारियल का तेल मिलाकर लगाने से खुजली दूर हो जाती है I
-त्वचा के रोगों जैसे एक्जीमा आदि में मदार के दूध को 50 मिली की मात्रा में लेकर इससे दुगनी मात्रा में सरसों का तेल ( 100 मिली ) लेकर ,हल्दी के पाउडर 100 ग्राम और मैनसिल 10 ग्राम क़ी मात्रा में एक साथ खरल में    दूध के साथ  मिलाकर लेप सा बनाकर ,पुनः इसमें तिल तेल एक लीटर और इतना ही पानी मिलाकर पकायें, जब पानी उड़ जाय और तेल सिद्ध हो जाय तो इसे प्रभावित स्थान पर लगाने से चर्म रोगों में बड़ा लाभ मिलता है I
-मदार के पत्तों के रस को लगभग 1000 मिली क़ी मात्रा में लेकर कच्ची हल्दी का रस निकालकर 250 मिली क़ी मात्रा में मिलाकर धीमी आंच पर पकायें ,जब तेल शेष रहे तो इसे छान कर पुराने से पुराने घाव जिससे मवाद आ रहा हो में लगायें  और लाभ देखें I
-आग से जले हुए घाव में भी लगभग तीन ग्राम मदार के पत्तों  क़ी राख को तिल के तेल के साथ मिलाकर खरल में पीसकर इसमें 2.5 ग्राम चूने का पानी मिलाकर  जले हुए स्थान पर लेपित करें इससे अग्निदग्ध व्रण में लाभ मिलता है I
-मदार के दूध क़ी 5 बूँद .कच्चे पपीते का रस 10  बूँद और चिरायता का रस 15  बूँद एक साथ गौमूत्र के साथ मिलाकर  जीर्ण बुखार से पीड़ित रोगी में देने से लाभ मिलता है I
-मदार के पत्तों पर जमी सफेदी जो विडीयो में स्पष्ट दिख रही है में  मैदा या आंटा के लेई सी बनाकर  छोटी- छोटी गोलियां बनाकर खाली पेट सेवन कराने से ततैया के काटे विष के प्रभाव को दूर करने में  भी उपयोगी होता  है I
ऐसे  ही अनेक नुस्खों में से कुछ चुनिन्दा योग हमने आपके समक्ष प्रस्तुत किये हैं ,हाँ ध्यान रहे क़ि यह औषधि वानस्पतिक पारद के समान ही गुण वाली   है, अतः इसका प्रयोग सावधानी से चिकित्सक के निर्देशन में हो तो बेहतर होगा ...!!
सकी पहचान सहित गुणों को जानने के लिए वीडियो देखें

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें