"भांग" नाम सुनते ही आप सोच रहे होंगे ,क़ि इसे तो सिर्फ मस्ती के लिए ही प्रयोग किया जाता होगा ..तो ऐसा नहीं है ....I शिवजी को प्रिय भांग औषधीय गुणों से भरा पडा है ,हालांकि भांग के मादा पौधों में स्थित मंजरियों से निकले राल से गांजा प्राप्त किया जाता है I भांग के पौधों में 'केनाबिनोल' नामक रसायन पाया जाता है ..,भांग कफशामक एवं पित्तकोपक होता है I आज हम आपको इसके औषधीय गुणों से परिचित कराते हैं..:-
-नींद न आने क़ी स्थिति में इसे चिकित्सक द्वारा औषधि के रूप में प्रयोग कराया जाता है I
-पत्तियों के स्वरस का अर्क बनाकर कान में 2-3बूँद डालना सिरदर्द के लिए अच्छी औषधि है I
-मानसिक रोगों में चिकित्सक इसे 125 मिलीग्राम क़ी मात्रा में आधी मात्रा में हींग के साथ प्रयोग कराते हैं I
-मंजरियों से निकले निर्यास को सूखी खांसी और दमा के वेग को रोकने के श्रेष्ठ औषधि माना गया है I
-काली मिर्च के साथ भांग का चूर्ण चिकित्सकीय परामर्श में प्रातः सायं रोगी को चटाने मात्र सेभूख बढ़ जाती है I
.-इसे चिकित्सक अन्य औषधियों के साथ निश्चित मात्रा में प्रयोग कराते हैं और श्रेस्ठ वाजीकारक (सेक्सुअल -एक्टिविटी बढाने वाला ) प्रभाव प्राप्त करते हैं I
-भांग के पत्तों के चूर्ण को घाव पर लगाने से घाव शीघ्र ही भरने लगता है I
-इसके बीजों से तेल प्राप्त कर जोड़ों के दर्द में मालिश करने से भी लाभ मिलता है I
-भांग के चूर्ण से दुगुनी मात्रा में शुंठी का चूर्ण और चार गुणी मात्रा में जीरा मिलाकर देने पर कोलाईटीस या बार -बार मल त्याग करने (आंवयुक्त अतिसार ) में लाभ मिलता है I
*ये तो रही इसके औषधीय प्रयोग क़ी बात, इसका मात्रा से अधिक सेवन शरीर को कमजोर एवं विचारहीन बना देता है
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