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रविवार, 14 अप्रैल 2013

"आँवला" धरती क़ा कल्प-वृक्ष :वीडियो देखें


आपने एक ऐसे वृक्ष के फलों क़ी चर्चा अक्सर सुनी होगी ...जो सम्पूर्ण भारत वर्ष में  पाए जाते हैं नाम है आंवला ...I शायद आप इसे अच्छी तरह पहचानते होंगे, लेकिन आपने हिमालयी क्षेत्र में  पेड पर लदे आंवले  के वृक्ष को शायद ही देखा होगा ..I आइये आज हम आपको एक  विडीयो के माध्यम से आंवले के वृक्ष सहित इसके पंचांगों के गुणों से परिचित कराते हैं ..I आंवला जिसे अंग्रेजी में "इंडीयन गूजबेरी" के नाम से तथा संस्कृत में  धात्री और शिवा के नाम से जाना जाता है, एक बहु-उपयोगी औषधि वनस्पति है ..I मध्यम आकार का वृक्ष जिसकी उंचाई बीस से पच्चीस फुट होती है,पत्तियाँ इमली के पत्तों के समान होती  है I आंवला को रसायन द्रव्यों में श्रेष्ठ माना गया है ..I आंवले के फल विटामिन-सी के प्रमुख स्रोत हैं ..I आंवले को ग्राही ,मूत्रल,रक्तशोधक और रूचि बढानेवाला होता है इसे त्रिदोष-शामक ,कुष्ठघन एवं हृदय को बल देने वाला माना गया है I
यूँ तो इसके असंख्य औषधीय प्रयोग हैं ,लेकिन आपकी जानकारी हेतु इनमें से कुछ चुनिन्दा प्रयोगों को बताया जा रहा जिसका चिकित्सक  के निर्देशन में प्रयोग बेहतर होगा :-
- यदि आप आँखों  से जुडी किसी भी समस्या से परेशान हों तो बस ताजे आंवले के फलों को बीस से पच्चीस ग्राम की मात्रा में यवकूट कर इसे लगभग आधा लीटर पानी उबाल लें..अब इसे अच्छी तरह छान कर ठंडा होने के बाद  यदि आँख में दो से तीन बूँद डालें तो लाभ मिलता है I
-आंवले के फलों को सुखाकर इसे लगभग बीस ग्राम की मात्रा में बहेड़े के चूर्ण एवं इससे दुगुनी मात्रा (लगभग चालीस ग्राम ) आम की गुठली के पाउडर और पांच ग्राम लौह पाउडर  के साथ रातभर कढाई में भिंगोकर छोड़ दें ...अब प्रातः इसे नित्य अपने बालों की जड़ों में लेप की तरह लगायें ,इससे आपके बाल काले ,सुन्दर एवं घने हो जायेंगे I
-आंवला,रीठा और शिकाकाई इन सबको के साथ मिलाकर काढा बनाने के विधि से पकाकर इससे सिर को धोने मात्र से बाल मुलायम ,घने और लम्बे हो जाते हैं I
-यदि नाक से खून आने जैसी समस्या उत्पन्न हो रही हो तो बस आंवले को जामुन एवं आम के साथ कांजी में मिलाकर पीसकर सिर पर लगा भर देने से नाक से आनेवाला खून बंद हो जाता है I
-यदि हिचकी नहीं रुक रही हो तो आंवले को सौंठ और पिप्पली के साथ लगभग 2.5 -2 .5  ग्राम की मात्रा में चूर्ण कर लगभग पांच ग्राम खांड तथा एक चम्मच शहद के साथ प्रयोग  कराने मात्र से हिचकी बंद हो जाती है I 
-हायपरएसिडिटी से पीड़ित रोगियों के लिए  आंवला एक बेहतरीन औषधीय  विकल्प है ..बस आप ताजे आंवलों के एक से दो फलों को मिश्री के साथ सुबह-शाम  प्रयोग करायें .आप आंवले के स्वरस का प्रयोग शहद के साथ भी करा सकते हैं I
-संग्रहणी ( क्रोनिक-कोलायटीस ) से पीड़ित रोगियों के लिए आंवले के ताजे पत्तों को मेथी दाना पाउडर के साथ मिलालर  काढा बनाकर पंद्रह से बीस मिली क़ी मात्रा में नित्यप्रति  प्रयोग कराना अत्यंत लाभकारी प्रभाव दर्शाता है I
-यदि लीवर क़ी कमजोरी या किसी संक्रमण के कारण पीलिया (जौंडिस) उत्पन्न हो गया हो तो आंवले के चटनी को शहद के साथ प्रयोग कराना फायदेमंद होता है I
-यदि रोगी को पेशाब से सम्बंधी तकलीफ उत्पन्न हो रही हो तो आप आंवले क़ी ताजी छाल के स्वरस को दस से बीस ग्राम क़ी मात्रा में ढाई ग्राम हरिद्रा और पांच ग्राम शहद के साथ मिलाकर सुबह-शाम प्रयोग करें I
-यदि कब्ज क़ी समस्या हो अर्थात पेट साफ़ नहीं होता हो तो बस आंवले के चूर्ण को ढाई से पांच ग्राम क़ी मात्रा में गुनगुने पानी से दिन में तीन बार सेवन करें इससे मल खुल कर आयेगा और सिरदर्द,अजीर्ण और बबासीर जैसी समस्या में भी लाभ मिलेगा I
-यदि मल के साथ रक्त आ रहा हो अर्थात रक्तातिसार क़ी स्थिति हो तो आप बस आंवले के स्वरस को दस से बीस ग्राम क़ी मात्रा में पांच ग्राम शहद और ढाई ग्राम घृत के साथ मिलाकर पिलायें इससे लाभ मिलेगा I
-टाईप-2  डायबीटीज से पीड़ित रोगीयों में आंवले का प्रयोग किसी रामबाण औषधि से कम नहीं है ,बस आप आंवले को हरड,बहेड़ा,नागरमोथा ,दारुहरिद्रा एवं देवदारु इन सबको एक साथ काढ़े बनाने के विधि पकाकर छान कर सुबह शाम दस से पंद्रह मिली क़ी मात्रा में खाली पेट लेने से रक्तगत शर्करा नियंत्रित  हो पाती हैI
-आंवले,गिलोय,नीम क़ी  छाल ,परवल क़ी पट्टी इन सबको बराबर मात्रा में ( लगभग चालीस से पचास ग्राम  ) लेकर लगभग आधा लीटर पानी में मिलाकर रात भर भिगोकर छोड़ दें, अब इसे काढ़े बनाने क़ि विधि से पकायें ,जब चौथाई भाग शेष रहे तो इसमें एक से दो चम्मच शहद मिलाकर दो से तीन बार सेवन करना पित्तज  प्रमेह  रोगी में अत्यंत लाभकारी प्रभाव दर्शाता है I
-महिलाओं में रक्तप्रदर एवं श्वेतप्रदर (लयूकोरीया ) में भी आंवला एक प्रभावी औषधि के रूप में काम करता है ..बस आंवले के स्वरस को दस से पंद्रह मिली क़ी मात्रा में जीरा पाउडर के साथ मिलाकर दिन में दो बार सेवन करायें इससे रक्तप्रदर में अवश्य ही लाभ मिलेगा ...I इसी प्रकार आंवले के बीजों को दस से बीस ग्राम क़ी मात्रा में पानी मिलाकर  पीसकर ,छानकर इसे सममात्रा में शहद और मिश्री के साथ लेना श्वेतप्रदर (लयूकोरीया ) के लिए अत्यंत प्रभावी योग है I
-यदि भूख नहीं लग रही हो आंवले को पकायें और अब बीज निकालकर इसे सुखाकर काली मिर्च ,सौंठ ,भूने जीरे और हींग के साथ मिलाकर सेवन करें निश्चित लाभ मिलेगा I
- यदि खुजली परेशान कर रही हो तो आंवले क़ी गुठली को जलाकर भस्मिकृत कर उसमें नारियल का तेल मिलाकर प्रभावित  स्थान पर लगायें और लाभ देखें I
-जोड़ों के दर्द में आंवले को सुखाकर दस से बीस ग्राम क़ी मात्रा में लेकर इतनी ही मात्रा में गुड को लगभग आधा लीटर पानी में पकायें ,जब यह ढाई सौ मिली शेष रहे तो इसे छानकर पीड़ित रोगी को सेवन करायें दर्द में निश्चित रूप से लाभ मिलेगा I
-ऐसे ही अनेक योगों में आंवले के प्रयोग से आयुर्वेदिक चिकित्सक सदियों से निरापद प्रभाव प्राप्त करते रहे हैं ..I च्यवनप्राश रसायन और ब्राह्मीआंवला केश तेल जैसे नाम तो कुछ उदाहरण मात्र हैं,  ...हम यह कह सकते हैं क़ि इसके हर अंग में देवता निवास  करते हैं, क्यूंकि अपने गुणों के कारण यह सबको प्रिय है ....I
आँवले के बारे में और अधिक जानकारी को सजीव देखने हेतु दिए गये विडीयो लिंक पर क्लिक करें...

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