
जामुन पित्तशामक ,त्वगदोषहर ,दाहप्रशमन तथा स्तंभक होता है I
आइये अब इस अनमोल वृक्ष के औषधीय गुणों के बारे में जानें :-
-यदि आपको दांतों से सम्बंधित कोई समस्या है ,तो इसके पत्तों को जलाकर बनाई गयी राख को दांत और मसूड़े पर मलने मात्र से लाभ मिलता है I
-पत्तों को पीसकर कुल्ला करने मात्र से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं I
-डायबीटीज के मरीजों के लिए जामुन अत्यंत प्रभावी औषधि है …इसकी जड़ों को साफ़ कर लगभग पचास ग्राम क़ी मात्रा में लेकर डेढ़ सौ ग्राम पानी में पीस लें और दस ग्राम क़ी मात्रा में मिश्री मिलाकर सुबह शाम खाने से पहले पीयें ,आपकी रक्तगत शर्करा नियंत्रित रहेगी ..I
-मधुमेह रोगीयों के लिए एक बेहतरीन योग : जामुन क़ी गुठली का पाउडर -1.5 ग्राम,गुडमार पाउडर – 1.5ग्राम,बिल्व पत्र पाउडर – 1.5ग्राम एवं करेला बीज पाउडर – 1.5ग्राम क़ी मात्रा में मिलाकर प्रातः शायं खाली पेट लेना अत्यंत लाभप्रद है I
-केवल जामुन के बीज को सुखाकर पीसकर 1.5 ग्राम क़ी मात्रा में दिन में तीन बार लेने से मूत्रगत शर्करा आनी बंद हो जाती है I
-जामुन क़ी क्षाल को जलाकर इसकी राख बनाकर इसे चिकित्सक के परामर्श से दिन में दो से तीन बार लेना मधुमेह में शर्करा को नियंत्रित करता है I
-यदि मल पतला आ रहा हो अर्थात अतिसार (डायरिया ) क़ी स्थिति हो तो जामुन के ताजे कोमल पत्तों को पांच से दस ग्राम क़ी मात्रा में एक पाव बकरी के दूध के साथ पिलाने से आमातिसार(आंवयुक्त मल ) एवं रक्तातिसार ( खून से युक्त मल ) में लाभ मिलता है I
-बच्चों में यदि संग्रहणी (आंव युक्त मल ) आ रहा हो तो केवल इसकी क्षाल का स्वरस बराबर मात्रा में बकरी के दूध में मिलाकर पिलाने मात्र से लाभ मिलता है I
-जामुन के गुठली का रस निकालकर दस से पंद्रह मिली क़ी मात्रा में पीने से स्प्लीनोमेगेली (तिल्ली का बढ़ जाना ) में लाभ मिलता है I
-जामुन के फलों में प्रचुर मात्रा में लौह तत्व पाया जाता है, अतः इसका सिरका रक्ताल्पता (एनीमिया ) सहित यकृत विकारों में लाभकारी होता है I
-पके हुए जामुन के फलों को खाने मात्र से पथरी (रीनल स्टोन ) गल जाती है I
-क्षाल के चूर्ण को घाव पर छिड़कने मात्र से लाभ मिलता है I
-यदि रोगी दस्त से पीड़ित हो तो जामुन क़ी गुठली को आम क़ी गुठली सहित काली हरड के साथ भूनकर खाने से मल रूक जाता है I
- कुचला विष से पीड़ित रोगी में सूखी गुठली पांच से दस ग्राम क़ी मात्रा में लेने से विष का प्रभाव शांत हो जाता है I
-बच्चों में दंतोद्भावन(दांत निकलते समय ) कभी-कभी आँखों में अभिष्यंद (कंजनटीवायटीस) में ताजे कोमल पत्ते लेकर पानी में पकाकर चतुर्थांश शेष रहने पर छानकर आँखों को धोने से लाभ मिलता है I
ऐसी अनेक गुणों से युक्त इस वनस्पति के चर्चा हमने क़ी है लेकिन आयुर्वेदिक चिकित्सक इसका प्रयोग कई योगों में कर रोगी को लाभ देते हैं I
जामुन के और अधिक गुणों को जानने के लिए वीडियो लिंक पर क्लिक करें …!!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें