प्रकृति ने हमें यदि रोग दिए हैं तो रोगों से लड़ने के साधन भी दिए हैं I बस फर्क इतना है की हम उन साधनों को पहचानते हैं या नहीं I आज के दौर में जोड़ों के दर्द या कमर दर्द से कौन परेशान नहीं है ! जिसे देखो इस दर्द से निजात पाने के लिए तरह-तरह के जतन किये जा रहा है I हम दवाओं के कुछ ऐसे दीवाने हो गए हैं कि प्रकृति का ख़याल ही नहीं रहता I शायद यहीं -कहीं मिल जाए इस दर्द को दूर करने का साधन I आज हम आपको एक ऐसे ही प्रकृति की अनमोल वनस्पति के बारे में बताएँगे जो जोड़ों के दर्द में बड़ी ही कारगर औषधि सिद्ध हुई है I आज इस औषधीय वनस्पति की थोड़ी बहुत चर्चा मैं आपके सम्मुख करने जा रहा हूँ I इस औषधि को शल्लकी के नाम से सदियों से आयुर्वेद के चिकित्सक जोड़ों के दर्द की चिकित्सा में प्रयोग कराते आ रहे हैं I बोस्वेलीया सीराटा और अंग्रेजी में "Indian Frankincense" नाम से प्रचलित यह वनस्पति अंग्रेजी दवाओं मैंपेन-किलर्स का एक बेहतर विकल्प हैI इस वनस्पति के अच्छे प्रभाव संधिवात (ओस्टीयोआर्थ्रराईटीस) एवं रयूमेटाइडआर्थराईटीस जैसे घुटनों के सूजन की अनेक अवस्थाओं में कारगर साबित हुए हैंI राजस्थान,मध्यप्रदेश एवं आँध्रप्रदेश में "शलाई" के नाम से जाना जानेवाला यह पौधा अपने सक्रिय तत्व बोस्वेलिक एसिड के कारण वैज्ञानिकों की नज़रों में आया है I इसके प्रभाव प्राथमिक एवं सेकेंडरी स्तर के ब्रेन ट्यूमर में भी प्रभावी पाए गए हैं I आस्टीयोआर्थरायटीस पर नागपुर के इंदिरागांधी मेडिकल कालेज में की गयी एक रिसर्च में भी इसके दर्द निवारक प्रभाव देखे गए हैंI यूनिवर्सीटी आफ केलीफोर्नीया के वैज्ञानिक डॉ.शिवारायचौधरी ने इस वनस्पति के दर्द निवारक प्रभाव पर अध्ययन किया हैI सत्तर ऐसे लोगों को जिन्हें आस्टीयो-आर्थराईटीस (घुटनों के दर्द एवं सूजन की एक स्थिति ) थी ,को इस वनस्पति के सक्रिय तत्व से युक्त केप्सूल का लो-डोज में तथा कुछ को हाई-डोज में सेवन कराया गया तथा शेष को डम्मी केप्सूल दिया गया I परिणाम चौकाने वाले थे,जिन लोगों ने शल्लकीकेप्सूल का सात दिनों तक सेवन किया उनके जोड़ों की गति,दर्द एवं सूजन में डम्मी समूह की अपेक्षा लाभ देखा गया I डॉ.रायचौधरी का मानना है कि शल्लकी में पाया जानेवाला सक्रिय तत्व जिसे उन्होंनेए.के.बी.ए.नाम दिया गया ,आस्टीयोआर्थ्रायटीस से जूझ रहे रोगियों के लिए एक अच्छा विकल्प है I ब्रिटिश विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर फिलिप कोनेघन भी इस बात को मानते है कि आस्टीयोआर्थ्रायटीस के रोगियों के लिए एक सुरक्षित दर्द निवारक औषधि की जरूरत है ,क्यूंकि वर्त्तमान में उपलब्ध दर्द एवं सूजन सहित मांसपेशियों को रिलेक्स करने वाली औषधियां दुष्प्रभाव के कारण भी जानी जा रही हैं I यह बात बी.बी.सी .ने 1 अगस्त 2008 को अपनी एक रिपोर्ट में भी प्रकाशित की है I अभी हाल ही में जर्नल आफ रयूमेटोलोजी 2011 में प्रकाशित एक शोधपत्र में भी इसकी उपयोगिता को जोड़ों से दर्द के निवारक के रूप में पाया जाना प्रकाशित हुआ है I अभी इस वनस्पति पर और भी अधिक शोध किये जा रहे हैं I वैज्ञानिकों ने इसे कोलाईटीस,ब्रोंकाईटीस सहित अनेक सूजन प्रधान व्याधियों में प्रभावी पाया है I बस ऐसी ही कई रिसर्च आनेवाले समय में आयुर्वेद के खजानों में उपलब्ध अनेक औषधीय वनस्पतियों की उपयोगिता को आधुनिक कसौटी पर खरा साबित करेंगी I
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जवाब देंहटाएंVery useful post. Joint pain can be cured completely. Try out herbal supplement for joint pain because of its effectiveness.
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