क्या आप ऐसी औषधि के बारे में जानते हैं जिसके बारे में कहा जाता है, कि यह स्वर्ग में देवताओं को भी दुर्लभ  है ! नहीं जानते ! जिस के लिए बनारस  और महोबा को लोग दुनिया भर में  जानते हैं .! ...नहीं जानते !जिस पर कई फ़िल्मी गाने आज भी चौक -चौराहों पर मस्ती और धमाल पैदा करते हैं ...लीजिये हम बताते हैं, आपको .."पान " नाम है इस औषधि का "पान " और औषधि ..चक्कर में पड़ गए आप ...! सोच रहे होंगे कि यह तो सिर्फ होठों को लाल करने और भगवान् को चढाने  के लिए प्रयोग में आता है ..जी नहीं ...अपने मनोहर गंध एवं स्वाद के लिए जाना जानेवाला "पान " अनेक औषधीय  गुणों से भरा पडा है I इसकी पत्तियों के कटु,उष्ण ,क्षारीय गुण  इसे औरों से अलग करते हैं तथा कृमिनाशक ,कफ़शामक  एवं  विषघ्न प्रभाव के लिए मशहूर हैं I अक्सर आपने देखा होगा कि किसी भारी खाने के बाद आप पान खाने जाते हैं,इसके पीछे इसका अग्निदीपक  एवं रुचिकारक प्रभाव है I हाँ पुराने और नए पान के पत्तों में भी प्रभाव अलग -अलग होते है I पुराना पान रुचिकारक ,सुगन्धित ,दीपन ,कामोद्दीपक  और मुख को शुद्ध करने वाला होता है, जबकि नए पान के पत्ते त्रिदोषकोपक ,अरुचिकारक ,विरेचक और वामक प्रभावों से युक्त होते हैं आइये अब हम इसके औषधीय प्रभावों को जानें :-
-हृदय की दुर्बलता में इसका प्रयोग लाभदायक  है ,इसका प्रभाव 'डीजीटेलिश' से मिलता जुलता है I
-पान की जड़ को मुलेठी के चूर्ण के साथ शहद  मिलाकर देने से सर्दी-जुखाम एवं गले की खराश में लाभ मिलता है ,गाने में रूचि रखनेवालों के लिए यह श्रेष्ठ औषधि है I
-पान के पत्तों को चूसने पर यह लार (सेलिवा ) को निकालने में मददगार होती है ,जिससे भोजन का पाचन ठीक ढंग से होता है I
-पान का शरबत हृदय को बल देता है ,यह कफ़ दोष का शमन करता है तथा अग्नि  को दीप्त करता है अर्थात भूख को बढाता है I
-हाँ इसे अधिक खाने से इसमें पाया जानेवाला "हेपेक्साइन "   नुकसान पहूँचाता है ..अधिक पान खाना  भी एक व्यसन है और अहितकर भी !!
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