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रविवार, 14 अप्रैल 2013

बुरा नहीं है बुखार आना :अनोखा सच!

अक्सर बुखार आने पर हम परेशान हो जाते हैं और यदि यह बुखार बच्चों में आया हो तो फिर क्या कहने ! यह बात सत्य है कि शरीर के तापक्रम में सामान्य से आयी वृद्धि ज्वर या बुखार के नाम से जानी जाती है ,जिसे वैज्ञानिक भाषा में फीवर के नाम से जाना जाता है, लेकिन यह बुखार कई मायने में फायदेमंद होता है Iआप सोचते होंगे बुखार और फायदेमंद, भला ऐसा कैसे हो सकता है ..! जी हाँ, यह बिलकुल सत्य और प्रमाणिक है कि शरीर के तापक्रम में सामान्य से आयी अधिक वृद्धि संक्रमण के लिए जिम्मेदार जीवाणुओं और विषाणुओं की  वृद्धि को रोकने में मददगार होती है Iबच्चों में तो यह और भी अधिक रोगों से लड़ने में मददगार होती है Iयह बात लोयला विश्वविद्यालय शिकागो स्ट्रीच स्कूल आफ मेडिसीन के  अमेरिकन पिडीयाट्रीशीयन काऊ जोनसन ने अपने शोध में बतायी है I वैज्ञानिक काऊ जोंसन की मानें तो बच्चों में बुखार से उत्पन्न होने वाला उच्च ताप अनेक बीमारियों से जूझने में शरीर की मदद करता है ,इससे बच्चे को आराम मिलता है और अच्छी नींद आती हैI उनका मानना है कि अचानक बच्चों में बुखार के कारण बढे ताप से माता-पिता अक्सर घबरा जाते हैं और पिडीयाट्रीशीयन से संपर्क  करते हैं ,लेकिन वे शायद  ये नहीं जानते कि बुखार उनके बच्चे का मित्र है ,खासकर तब जब बच्चा किसी  वायरल संक्रमण से जूझ रहा हो,यह उस बच्चे को शीघ्र रिकवर होने में मदद करता हैIहाँ ,यह ताप यदि अपनी सीमा से अधिक बढ़ जाय तो निश्चित रूप से थोड़ा सावधान होने की जरूरत है ,पर घबराने की आवश्यकता नहीं है Iआयुर्वेद में ज्वर को बड़ा ही महत्वपूर्ण माना गया है और इस नाम से आयुर्वेद के महान ग्रन्थ चरक चिकित्सा स्थान में एक पूरा अध्याय वर्णित किया गया है और एक बात जो इस शोध और आयुर्वेद में ज्वर की चिकित्सा के मध्य मुझे एक जैसी लगती है वह है ,ज्वर के प्रारम्भ में लंघन करना बताया गया  है अर्थात जो शरीर में लघुता लाये वैसा उपक्रम करना ..और अंत में औषधि उपचार करना ,यह बात इसलिए महत्वपूर्ण है क्यूंकि  ज्वर यदि शत्रु होता तो इसके अंत में औषधि उपचार की बात आयुर्वेद के मनीषियों ने नहीं कही होती ..तो ज्वर यानि बुखार आपका शत्रु नहीं वरन कई मायनों में मित्र है,बस आवश्यकता है सही निदान  और उपचार की !

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