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रविवार, 14 अप्रैल 2013

प्यारी प्यारी आँखें :कैसे रखें इस प्यार को बरकरार !


images.jpg मस्तिष्क को तेजी से ध्यान में केन्द्रित करने का जरिया हमारी आँखें हैं !कहा जाता है कि हमारा चेहरा  हमारी मनःस्थितियों को दर्शाता है, जबकि आँखें हमारी शरीर रूपी पुर (घर ) में निवास करने वाली आत्मा के लिए बनायी गयी खिडकियां हैं ,जिससे व्यक्ति दुनिया देख पाता है Iईश्वर द्वारा बनाए गए इस चराचर जगत को देखने का माध्यम केवल हमारी आँखें ही तो हैं और इनको देखभाल की आवश्यकता भी होती है जैसे जैसे हम उम्र के पड़ाव की ओर बढ़ते चले जाते हैं ,हमारी आँखों के चारों तरफ की मांसपेशियां भी ढीली पड़ने लग जाती हैं, हमारी आँखें कमजोर होने लग जाती हैं ,उनके चारों ओर की मांसपेशियों का स्वाभाविक लचीलापन कम होता चला जाता है, जिस कारण उनकी फोकस करने की क्षमता कम हो जाती है ,इतना ही नहीं इससे उत्पन्न तनाव हमारे मष्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है और हमें अधिक तनाव से दो चार होना पड़ता है I मतलब यह हुआ की आँखों के चारों तरफ की मांसपेशियों के लचीलेपन का सीधा  ताल्लुक हमारे मानसिक तनाव से है और यह भी एक सत्य है कि आँखों की दृष्टि में आयी विकृति में सुधार सीधे इन मांसपेशियों के रिलेक्स होने से संबंधित है I अर्थात हमारे मस्तिष्क और दृष्टि के बीच सीधा सम्बन्ध बनाती है हमारी आँखें! हमारे मस्तिष्क  की क्षमता  में चालीस प्रतिशत की  हिस्सेदारी  आँखों की है !अतः यदि हम केवल आँखों को इत्मीनान से बंद मात्र करते हैं तो हमारा मस्तिष्क स्वयं रिलेक्स हो जाता है ! आँखों को सुखपूर्वक बंद करने मात्र से हम खुद में आये रिलेक्सेशन को महसूस कर सकते हैं !
आईये अब आपको हम आँखों को रिलेक्स करने के कुछ योगिक उपायों के बारे बताते हैं :-
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योग का हमारे नेत्र स्वास्थ्य से सीधा सम्बन्ध है आसन ,प्राणायाम एवं ध्यान की क्रिया  किसी न किसी रूप में हमारे नेत्रों को प्रभावित करती हैं !नेत्रों के लिए  उपयोगी आसन नेत्र के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत बनाती है और आँखों से सबन्धित कई तकलीफों में फायदा पहुंचाती है, इस  बात की पुष्टि प्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ वीलीयम एच. बेट्स ने भी की है कि केवल आँखों के आसपास की मांसपेशियों और नेत्रगोलक को व्यायाम के माध्यम से सक्रिय बनाकर हम अपने दृष्टिगत दोषों में सुधार ला सकते हैं !हाँ इन व्यायामों का अभ्यास यदि योगिक आसनों को करने के बाद किया जाय तो फायदा कहीं ओर बढ़ जाता है !
-शवासन : आप सब जानते हैं कि शरीर को रिलेक्स कने के लिए यह आसन अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसे करने हेतु बस आप फर्श पर सीधे पीठ के images%20(1).jpgबल शरीर को ढीला कर लेट जाएँ और आँखों को बंद करते हुए चित को शांत करते हुए पूरे शरीर को रिलेक्स होता हुआ महसूस करें !
अब आप सीधे इस तरह बैठ जाएँ की आपके दोनों हाथ घुटनों पर स्थित हों 
अपनी आँखों को घुमाते हुए  किसी निश्चित बिंदु या चिन्ह पर केन्द्रित करें जिसमें तनाव बिलकुल न हो ,अब इस बिंदु के ऊपर और नीचे नेत्र गोलकों को घुमाएं इन सभी क्रियाओं के दौरान  आपकी सांसें सामान्य होनी चाहिए !
-आँखों के व्यायाम में दूसरा चरण निम्न होना चाहिए :   केवल हथेलियों को हल्के से आँखों के ऊपर रखना मात्र तनाव को कम करनेवाला होता है, इससे आँखों के आसपास की मांसपेशियों के तनाव  कम  होता  है, बस ध्यान रहे कि हथेलियों  से नेत्र पर अधिक दवाब उत्पन्न न हो !
-नेत्र के व्यायाम का तीसरा चरण क्षैतिज आँखों की गति के रूप में होना चाहिए इसे निम्न क्रम में करें :-
*आँखों के नेत्रगोलक को पहले बाईं से दाईं फिर दायीं से बाईं ओर अधिकतम ले जाएँ पुनः हथेलियों को हलके से आँखों के ऊपर रखें और स्थिति में सहजता से थोड़ी देर खुद को बनाए रखें !
*पुनः  नेत्रगोलक  को  उर्ध्वाधर  रूप में बाईं ओर उच्चतम स्थिति से दायीं ओर की न्यूनतम स्थिति में ले जाएँ ,पुनः इसे उल्टी दिशा में दुहरायें ,इसके बाद नेत्रगोलक को पूर्ण वलय के रूप में घडी की सूई के दिशा में और उसके विपरीत घुमाएं ,आँखों को खुला रखें ,इसके बाद आँखों को ऊपर और नीचे ले जाएँ ,इस प्रक्रिया को बगैर पलक झपकाए दस से बारह बार दुहरायें ,बस ध्यान रहे कि आँखों में किसी प्रकार का तनाव उत्पन्न न हो ! 
त्राटक :- योग की इस प्रक्रिया से हम अपने नेत्रगत विकृतियों से छुटकारा पा सकते हैं,यह क्रिया दृष्टि को बेहतर बनाने के साथ साथ हमारे download%20(1).jpgमस्तिष्क को और अधिक ध्यान केन्द्रित बनाने में मददगार होती है !
इसे निम्न चरणों में पूरा  करें :_
*रीढ़ की  हड्डियों को सीधा रखते हुए फर्श पर तनावमुक्त होकर  बैठ जाएँ,सांसें सामान्य  होनी चाहिए ! 
*अपनी दृष्टि को ॐ या जलती हुई मोमबत्ती पर केन्द्रित करें! 
*पलकों को तबतक न झपकाएं जबतक आँखों से आंसू न निकल जाएँ! 
*आँखों पर अधिक तनाव न देकर गहरी सांस लें !
यह तो रही नेत्र के कुछ विशेष व्यायाम की संक्षिप्त चर्चा जिसे किसी प्रशिक्षित योग विशेषज्ञ के सानिध्य में लेना हितकारी होता है ,इसके अलावा प्राणायाम का सम्यक अभ्यास भी हमारी दृष्टि सहित मानसिक स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव डालता है !
आशा है मैंने नेत्र के स्वास्थ्य को मेंटेन रखने और दृष्टिदोषों को दूर करने के कुछ सहज उपाय आपके समक्ष प्रस्तुत किये हैं जो आपके लिये वाकई हितकारी होंगे 

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