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रविवार, 30 जून 2013

जानिये हिमालय की रसबेरी के गुण !

हिमालयी क्षेत्र अनेक प्राकृतिक जडी-बूटियों एवं औषधीय गुणों से युक्त फलों से भरा पडा है ,ये जड़ी-बूटियाँ एवं औषधीय पौधे अपने कई ऐसे गुणों को समेटे हैं ,जिन्हें जानना अभी बांकी है I आज हम आपको एक ऐसी वनस्पति का जिक्र करने जा रहे हैं जिसके फलों को खाते ही आपको नींद आने लगेगीI जी हां, "हिसालू " नामक यह वनस्पति जो खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में पायी जाती है अपने अद्भुत गुणों से युक्त है I इसका लेटिन नाम Rubus elipticus है जो Rosaceae कुल की झाडीनुमा वनस्पति है I इसे "हिमालयन-रसबेरी" के नाम से भी जाना जाता है ! आइये अब हम इसके औषधीय गुणों की चर्चा करते हैं :-
-इसके फलों को एंटीआक्सीडेंट प्रभावों से युक्त पाया गया है !
-इसकी जड़ों को बिच्छुघास (Indian stinging nettle) की जड़ एवं जरुल (Lagerstroemia parviflora) की छाल के साथ यवकूट कर काढा बनाकर बुखार में दिया जाता है ! -इसकी ताजी जड़ से प्राप्त स्वरस का प्रयोग पेट से सम्बंधित बीमारियों में लाभकारी होता है !
-इसकी पत्तियों की ताज़ी कोपलों को ब्राह्मी की पत्तियों एवं दूर्वा (Cynodon dactylon) के साथ मिलाकर स्वरस निकालकर पेप्टिक अल्सर की चिकित्सा की जाती है!
 -इसके फलों से प्राप्त रस का प्रयोग बुखार,पेट दर्द,खांसी एवं गले के दर्द में बड़ा ही फायदेमंद होता है ! -इसकी छाल का प्रयोग तिब्बती चिकित्सा पद्धतिमें भी सुगन्धित एवं कामोत्तेजक प्रभाव के लिए किया जाता है !
-इस वनस्पति का प्रयोग किडनी-टोनिक के रूप में भी किया जाता है साथ ही साथ नाडी-दौर्बल्य,अत्यधिक मूत्र आना (पोली-यूरिया ),योनि-स्राव,शुक्र-क्षय एवं शय्या-मूत्र ( बच्चों द्वारा बिस्तर गीला करना ) आदि की चिकित्सा में भी किया जाता है !
-इसके फलों से प्राप्त एक्सट्रेक्ट में एंटी-डायबेटिक प्रभाव भी देखे गए हैं !(साभार :जर्नल आफ डायबेटोलोजी) -हिसालू जैसी वनस्पति को सरंक्षित किये जाने की आवश्यकता को देखते हुए इसे आई.यू.सी.एन .द्वारा वर्ल्ड्स हंड्रेड वर्स्ट इनवेसिव स्पेसीज की लिस्ट में शामिल किया गया है I इसी आर्टिकल को दैनिक भास्कर जीवन मन्त्र पर पढने के लिए link  पर जाएँ : http://religion.bhaskar.com/article/FM-AN-yogafruit-which-is-a-unique-work-of-panacea-diseases-4305805-NOR.html?seq=1

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