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बुधवार, 12 जून 2013

आयुर्वेदिक चिकित्सा का खर्च अब बीमा के दायरे में!

आपने बीमा कंपनियों द्वारा दी गयी स्वास्थ्य बीमा पालिसी  में से किसी एक को अपने लिए अवश्य ही चुना होगा जिनमें आपकी भविष्य में हो सकनेवाली दवाओं एवं सर्जरी आदि का खर्च क्लेम में शामिल होगा ,लेकिन आपने इन पालिसी में अबतक आयुर्वेदिक चिकित्सा में आनेवाले खर्च को क्लेम में शामिल किये जाने की बात नहीं सुनी होगी Iयह कहना गलत नहीं होगा की कई जीर्ण व्याधियों में आयुर्वेदिक चिकित्सा पूर्णतया कारगर है ,जिनमें पंचकर्म,क्षार-सूत्र एवं शमन चिकित्सा शामिल है और इनमें होनेवाला खर्च भी एलोपथिक चिकित्सा की तुलना में कुछ कम नहीं है ,लेकिन अब आयुर्वेदिक चिकित्सा से स्वास्थ्य लाभ ले रहे लोगों के लिए एक अच्छी खबर है की उन्हें अब अपनी चिकित्सा में आये खर्च का भुगतान का क्लेम बीमा कंपनियों द्वारा मिल  पायेगा I भारत सरकार द्वारा 18 फरवरी 2013 को जारी राजपत्र (प्रति संलग्न ) के अनुसार अब यह लाभ बीमा कंपनियों को आयुर्वेदिक चिकित्सा में आये खर्च के क्लेम को सेटल कर देना ही होगा ,इसका लाभ भारत के सभी प्रान्तों में सरकार द्वारा चलाये जा रहे बी.पी.एल.परिवारों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना में भी मिलेगा Iबस राज्यों द्वारा इस अपने यहाँ लागू किये जाने की देर है !कुछ राज्यों ने इस दिशा में पहल कर दी है जिनमें मध्यप्रदेश शामिल है ,वैसे ही इसे उत्तराखंड जैसे राज्यों में भी लागू कर लोगों तक आयुर्वेदिक चिकित्सा में आनेवाले खर्च को क्लेम में सेटल कर  जनसामन्य तक इसका लाभ पहुंचाने की आवश्यकता है ! उत्तराखंड,हिमांचल जैसे पर्वतीय राज्यों के दुर्गम क्षेत्रों में आज भी लोग आयुर्वेदिक चिकित्सा एवं चिकित्सकों पर  निर्भर हैं और जीर्ण रोगों की चिकित्सा में लम्बे इलाज में आनेवाला खर्च कई बार इन्हें एलोपथिक चिकित्सा लेने पर मजबूर कर देता है ,ऐसे में आयुर्वेदिक् चिकित्सा को स्वास्थ्य बीमा में सम्मिलित किया जाना एक अच्छी खबर है!


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