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बुधवार, 4 मई 2011

आयुर्वेद के नाम पर झोलाछापों की हो रही है चांदी !

आज जैसे आधुनिक चिकित्सा पद्धती झोलाछाप डाक्टरों से परेशान है,वैसे ही चंद किताबें पढ़कर,नुस्खों को जानकर आयुर्वेद के नाम पर अपनी दुकान चलानेवालों की  संख्या भी बढ़ती जा रही हैIझोलाछाप कोई इस ज़माने की पैदाईश नहीं हैं,वो आचार्य सुश्रुत के जमाने से ही चले आ रहे हैं,तभी तो उन्होंने ऐसे लोगों को "तस्करवृति" या "छद्मचर" यानी स्मगलर या बहुरुपिया नाम दिया.आचार्य सुश्रुत के ज़माने में भी ऐसे लोग अपनी दुकान चलाकर आयुर्वेद को बदनाम कर रहे थेIकोई भी व्यक्ति चन्द पुस्तकें पढ़कर या किसी से नुस्खे जानकर चिकित्सक नहीं बन  सकता है,परन्तु आज तम्बू लगाकर आयुर्वेदिक शाही खानदानी दवाखाना,आयुर्वेदिक चाय,आयुर्वेदिक तेल,आयुर्वेदिक लिंगवर्धक मसाज आयल के नामपर अपनी दुकान चलाने वालों की संख्या बढ़ती चली जा रही हैIलोग भी भड़काऊ विज्ञापनों के चक्कर में पड़ रहे हैं, जिनमे वे तेल के साथ यन्त्र मुफ्त को देखकर सेक्स के नाम पर पैसा लुटाने में देर नहीं करते हैं.Iयह भी दुर्भाग्य है की हमारी सरकारें इन  छद्मचरों को रोकने का काम नहीं करती.Iवाकई ऐसे लोग अपने आप  को आयुर्वेद का ठेकेदार बताते हैं, और आयुर्वेद के नाम पर लोगों को गुमराह करते हैंIलिंगवर्धक तेल जिसमे दस रुपये का केस्टर आयल तथा लिग्नोकेंन मिला होता है,अच्छी भड़कीली पैकिंग में २०० रूपैये में बेचा जाता है,ऐसा ही कुछ दर्द (वात) के नाम पर बेचे जा रहे तेलों के नाम पर भी हो रहा हैIआप किसी सरकारी बस में बैठें ऐसे तेल बेचने वाले आपको मिल जायेंगे,इनके लेबल पर  किसी हर्बल फार्मेसी का नाम भी मिल जाएगाIलोगों को फुर्सत कहाँ इनकी तफ्तीश करने की आयुर्वेदिक जो है !साइड इफ़ेक्ट तो होता ही नहीं.!यह एक  ऐसी भ्रान्ति है जो आयुर्वेद को गर्त में पहुंचा रही हैIअगर साइड इफेक्ट नहीं हैं, तो फिर इफेक्ट कैसे होगा यह कौन समझाएIयह बात लोगों के जेहन में डालनी होगी की  आयुर्वेदिक दवाओं के भयंकर दुष्प्रभाव  हो सकते हैं , यदि इन्हें कुशल आयुर्वेदिक चिकित्सक  के निर्देशन में न लिया जायIआचार्य चरक ने भी बताया है " मात्रा,काल,स्तरहीन तथा कुशल चिकित्सक के निर्देशन के बगैर ली गयी अमृत तुल्य  औषधी भी विष का काम करेगी" Iक्या किसी सौंदर्य प्रसाधन के  विज्ञापन में आपने एलोपथिक शब्द सूना होगा नहीं ,लेकिन आयुर्वेदिक जरुर सुना होगाIऐसा लोगों की मनःस्थिती का फायदा उठाने के लिए होता है,इसे रोकना होगा,वरना आयुर्वेदिक दवाएं पंसारी एवं छद्मचर लोगों की दुकान की शोभा बढाते रहेगी I

1 टिप्पणी:

  1. aaj yeh pure bharat desh ki samsya hai. isse ayurved badnaam ho raha.ethical ayurved practice karnewalo ko is wajah se hamesha pareshani ka saamna karna padta hai. ye Taskarvrutti ke log otherised ayu.doctor se jada kamaai karte hai jo ki isse logo k man se ayurved ka vishwas kam ho raha hai. JANJAGRUTI hi iska hal nikal sakti hai...jai ayurved. dr deepak dhoke MD Ayurved consultant ,washim MS

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