इस लेख में हम आपको इसरो एवं उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र द्वारा हाल ही में जारी की गयी सेटेलाईट ईमेज दिखाने का प्रयास कर रहे हैं I इस चित्र से यह बात स्पष्ट होती है कि इस घाटी का लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा आपदा के कारण नष्ट हो चुका है I अध्ययन इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि ऐसा केदारघाटी में स्थित चौराबाड़ी एवं अन्य ग्लेशियरों के ऊपर आयी भारी बारिश के कारण हुआ, इस बारिश के कारण एक बाढ़ की स्थिति पैदा हुई, जिसमें बड़े-बड़े बोल्डर एवं सेंड्स मलवे की शक्ल में बहकर आये और भीषण तबाही का कारण बने I अध्ययन से यह बात स्पष्ट हुई है कि भारी बरसात और ग्लेशियर में बर्फ के पिघलने के बाद पानी ने ग्लेशियर की जड़ में मौजूद मोरेंस (ग्लेशियर की निचली सतह) को बढ़ा दिया। भारी दबाव के साथ पानी आगे बढ़ा तो पलभर में बोल्डर और सैंड्स ने रफ्तार पकड़ ली, सौभाग्य से बीच में एक बड़ी चढ़ाई(स्लोप ) आ गयी , चढ़ाई (स्लोप) पर ऊपर चढ़ने में पानी के साथ इस मलबे की रफ्तार कुछ धीमी हो गई,इसके चलते बड़े-बड़े बोल्डर केवल मंदिर और केदार वैली में ही आकर रुक गए,बांकी मलबा केदारवैली को पार करने के बाद काफी कम गति में आ गया था, लेकिन इससे आगे के रास्ते में नीचे की ओर फिर ढाल होने के चलते दोबारा फिर अपनी रफ्तार पकड़ ली ,जिसकी वजह से आगे को रामबाड़ा और गौरीकुंड में भारी तबाही हुई I वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि केदार घाटी में यह मलबा दो ऊँची चढ़ाइयों (स्लोप्स ) से न गुजरता तो तबाही का मंजर कुछ और ही होता I
इस तबाही से सामने आये सच :
1.सैटेलाइट इमेज में यह बात सामने आई है कि तबाही का यह मलबा ऊपर से केवल एक ही धारा में चला था जो कि बाद में दो नई धाराओं में बंट गया,अब यहां पानी का एक नया रास्ता बन गया है!
2.आपदा से पहली तस्वीर में यह साफ है कि पानी एक बहुत पतली धारा में बह रहा है लेकिन हादसे के बाद की तस्वीर में यहां अनेक धाराएं देखी गई हैं!
3.पहले और बाद की सेटेलाईट इमेज से यह पता चला है कि केदारनाथ धाम और आसपास के क्षेत्रों में आपदा से भारी तबाही हुई है!
3. उपग्रह से प्राप्त आंकड़ों से यह बात साफ हो गई है कि दोनों ग्लेशियर में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं हुआ है,तेज बारिश की वजह से यह आपदा आई है!
*साभार :इसरो/उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र
इससे आर्टिकल को दैनिक भास्कर जीवन मन्त्र पर पढ़ें :http://religion.bhaskar.com/article/FM-HL-yoga-scientists-have-discovered-that-certain-of-the-catastrophe-in-kedarnath-due-4308572-NOR.html?seq=1
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